मॉनसून की बेहतरीन शुरुवात हो गयी है. फसलों के लिए मिनिमम सपोर्ट प्राइस (एमएसपी) में भी वृद्धि की जा रही है. वहीं, अमेरिकी सेंट्रल बैंक ने ब्याज की दरो में वृद्धि के संकेत दिए है. इससे बाजार में सकारात्मक बदलाव देखे जा रहे है. ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि देश में इंट्रेस्ट रेट में इस साल एक और रेट कट हो सकता है. इसी वजह से रूपए को मजबूती मिली और एक माह से उचाई पर है. एमएसपी में अधिक बढ़ोतरी नहीं करने से स्टॉक और बॉन्ड बाजार का भी अच्छा पहलु देखा गया है. जिस तरह से देश में कृषि संकट पर विचार विमर्श किया जा रहा है , उससे एमएसपी में वृद्धि की सम्भावना देखी जा रही है. हालांकि, इसमें ज्यादा बढ़ोतरी नहीं होने से अब महंगाई दर बढ़ने की सम्भावना कम हो गयी है.
मॉनसून जैसे सीजनल फैक्टर पर ध्यान नहीं दिया जाए तो महंगाई औसत रह सकती है, जिससे आरबीआई की तरफ से ब्याज दरो में कटौती का मार्ग प्रशस्त हो गया है. इस पर एसबीआई की चेयरमैन अरुंधति भट्टाचार्य ने कहा, 'इंटरनैशनल मार्केट में कमोडिटी प्राइसेज का जो स्तर है , उसे देखकर एमएसपी में वृद्धि की गई है. इसे मैक्रो इकॉनमी के लिए भी उचित माना जा रहा है. आरबीआई भविष्य में इंट्रेस्ट रेट पर निर्णय लेते समय इस बात पर ध्यान देगा. जहां तक एमएसपी के महंगाई दर पर प्रभाव की बात है तो इसे रेट कट के लिए सही माना जा रहा है.
आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने 2 जून की मॉनिटरी पॉलिसी में रेट में 0.25 पर्सेंट की कमी कर कहा कि भविष्य में मॉनसून और दूसरे डेटा को ध्यान में रखकर लोन की दरो पर निर्णय लिया जाएगा. मौसम विभाग ने इस साल खराब मॉनसून की सम्भावना व्यक्त की है, लेकिन अब तक करीब 75 पर्सेंट भाग में बारिश सामन्य से अधिक देखी गयी है. इससे खरीफ फसलों की बुआई ने गति पकड़ी है. हालांकि, मॉनसून के जून से सितंबर वाले मौसम ने कुछ दिन पहले ही दस्तक दी है. इस मामले में एचडीएफसी के वाइस चेयरमैन केकी मिस्त्री ने बोला, 'खराब मॉनसून का खतरा अब नहीं रहा. एमएसपी में मामूली बढ़ोतरी इनफ्लेशन मैनेजमेंट के लिए अच्छा बताया जा रहा है. इन दोनों कारणों से महंगाई पर नियंत्रण किया जा सकता है.
जिससे भविष्य में लोन की दरे काम होने की संभवना देखी जा रही है. मई में रिटेल इनफ्लेशन निम्न वृद्धि के साथ 5.01 प्रतिशत रही, वही अप्रैल में यह 4.87 प्रतिशत थी. हालांकि, महंगाई दर सुविधा क्षेत्र में है. आरबीआई 4 अगस्त को अगला मॉनिटरी पॉलिसी रिव्यू निर्मित करेगा. यस बैंक ने क्लायंट्स को भेजे अपने एक नोट में लिखा है, 'फाइनैंशल इयर 2016 तीसरा साल है, जब एमएसपी में बढ़ोतरी 5 प्रतिशत की कमी हुई है. यह इनफ्लेशन आउटलुक के आधार पर काफी अच्छा माना जा रहा है. हमारा मानना है कि एमएसपी में वृद्धि का रिटेल इनफ्लेशन पर असर मात्र 0.32 प्रतिशत ही देखा जाएगा.