40 साल एक सवाल, आखिर क्यों लगा आपातकाल
40 साल एक सवाल, आखिर क्यों लगा आपातकाल
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देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल को आज 40 साल हो चुके है। आपातकाल को लेकर हर बार विपक्षी पार्टियां कांग्रेस को घेरती रहती है, जब कि कांग्रेस उस समय देश की स्थिति का हवाला देकर आपातकाल को सही ठहराती है। 40 साल बाद भी आपातकाल को लेकर देश के लोगो के मन में कई ऐसे सवाल है जिनका उत्तर आज भी उन्हें नहीं मिला है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर उस समय आपातकाल लगाने की जरूरत क्यूँ पड़ी। कई लोगो का मानना है कि विपक्ष द्वारा सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए सेना से अपील की गई थी, सरकार के खिलाफ बगावत का माहौल बन गया था, जिसके बाद इमरजेंसी लगाई गई। आज की पीढ़ी को शायद इमरजेंसी के उस दौर का अंदाजा नहीं होगा, लेकिन जिन लोगों ने 40 साल पहले आपातकाल का दौर वें जानते है की उस समय स्थिति कितनी भयावह थी।

आखिर क्यों लगाया आपातकाल

12 जून 1975 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रायबरेली से इंदिरा चुनाव निरस्त कर दिया गया था, जिससे इंदिरा घबरा उठी। इसके अलावा उन्हे सुप्रीम कोर्ट से भी आधी राहत मिली। सरकार की नीतियों की वजह से महंगाई दर 20 गुना बढ़ गई थी। गुजरात और बिहार में शुरू हुए छात्र आंदोलन से उद्वेलित जनता सड़कों पर उतर आई थी।  वहीँ दूसरी और 25 जून 1975 को लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी कि सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए दिल्ली के रामलीला मैदान में एक विशाल रैली की अगुवाही की। नारायण की इस रैली मे विपक्ष के लगभग सभी बड़े नेता थे। जिस कर्ण इन्दिरा को अपनी कुर्सी जाते हुए नजर आने लगी। इस दौरान राष्ट्रकवि दिनकर की कविता "सिंहासन खाली करो कि जनता आती है" का नारान चारो और गूंज उठा। एसे मे चारों ओर विरोध के उठते हुए स्वर को देखते हुए इंदिरा गांधी ने पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री सिद्धार्थ शंकर रे की सलाह पर धारा-352 के तहत देश में आंतरिक आपातकाल लगाने का फैसला किया। बता दे की 29 जून कांग्रेस विरोधी ताकतों ने देश भर मे हड़ताल का अह्वान किया था, एसे मे उसे दबाने के लिए भी इंदिरा गांधी को आपातकाल की घोषणा करना पड़ी।

आधी रात को हुई घोषणा

बता दे कि आपातकाल की घोषणा 25 और 26 जून की दरमियानी रात हुई थी। आधी रात को तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद आपातकाल के कागजो पर हस्ताक्षर किए। इसके बाद इन्दिरा ने अगले दिन सुबह देश ने रेडियो पर लोगो संबोधित करते हुए कहा कि, " भाइयो और बहनो, राष्ट्रपति जी ने आपातकाल की घोषणा की है। इससे आतंकित होने का कोई कारण नहीं है।" हालांकि आपातकाल लगा बाद मे लेकिन इन्दिरा गांधी ने पहले ही अपनी कार्यवाही शुरू कर दी थी। उन्होने दिल्ली के बहादुर शाह जफर मार्ग पर स्थित अखबारों के दफ्तरों की बिजली रात में ही कटवा दी थी, ताकि 25 जून की रैली की खबर देश में न पहुंचे। इसके अलावा रात को ही संजय गांधी और ओम मेहता ने इंदिरा गांधी के विशेष सहायक आर के धवन के कमरे में बैठ कर उन लोगो की सूची बनाई, जिन्हे गिरफ्तार किया जाना था। इस सूची को लेकर इंदिरा गांधी से भी सलाह-मश्विरा किया गया था, जिसके बाद 26 जून की सुबह जयप्रकाश नारायण, मोरारजी देसाई समेत तमाम बड़े नेता गिरफ्तार किए जा चुके थे। मगर ये तो अभी शुरुआत ही थी, क्योंकि जुल्म का दौर अब शुरू ही होने वाला था जिसने अगले 19 महीने तक देश को दहलाए रखा।

आपातकाल का मतलब

आपातकाल का मतलब सरकार को असीमित अधिकार। इसके तहत इंदिरा जब तक चाहें सत्ता में रह सकती थीं। लोकसभा-विधानसभा के लिए चुनाव की जरूरत नहीं थी। मीडिया और अखबार आजाद नहीं थे। सरकार कैसा भी कानून पास करा सकती थी। अगर हम आज के दोरे के हिसाब से आपातकाल को समझने की कोशिश करे तो आपातकाल का मतलब ये होगा कि आपकी व्यक्तिगत आजादी छीन जाएगी। आप सरकार की आलोचना नहीं कर पाओगे। आपकी फेसबुक की हर पोस्ट पहले सरकार के पास जाएगी। सरकार जो चाहेगी वही आप सोश्ल मीडिया पर पोस्ट कर पाओगे। इसके अलावा टीवी ओर अखबारो मे वही दिखेगा जो सरकार चाहेगी।

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