आज ही के दिन गब्बर ने ली थी दुनिया से विदा
आज ही के दिन गब्बर ने ली थी दुनिया से विदा
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यहा से पचास पचास कोस दूर गांव में जब भी कोई बच्चा रोता है तो माँ कहती है सो जा वरना गब्बर आ जायेगा.जी हाँ ये संवाद जब भी हमारे कान में पड़ते है एक ही सख्शियत सामने आती है वो है ब्लॉकबस्टर हिंदी फिल्म शोले में गब्बर सिंह का किरदार निभा कर अमर होने वाले अमजद खान. अमजद शुरू में इस रोल को नहीं करना चाहते थे. बहुत कम लोग जानते हैं कि पहले यह रोल डैनी के लिए ही लिखा गया था परन्तु उनके मना करने पर यह रोल चला गया अमजद खान की झोली मे. पहले तो अमजद खान घबरा से गए लेकिन बाद में उन्होंने इसे एक चैलेंज के रूप में लेते हुए हिंदी सिनेमा का एक अविस्मरणीय इतिहास लिख दिया. 12 नवंबर 1940 को जन्मे अमजद खान को अभिनय की कला विरासत में ही मिली.

उनके पिता जयंत फिल्म इंडस्ट्री में खलनायक रह चुके थे. अमजद खान ने बतौर कलाकार अपने अभिनय जीवन की शुरूआत वर्ष 1957 में प्रदर्शित फिल्म अब दिल्ली दूर नही से की थी. इस फिल्म में अमजद खान ने बाल कलाकार की भूमिका निभाई थी. अपने अभिनय मे आई एकरूपता को बदलने और स्वंय को चरित्र अभिनेता के रूप में स्थापित करने के लिये अमजद खान ने अपनी भूमिकाओं में कई परिवर्तन किए. इसी क्रम में वर्ष 1980 मे प्रदर्शित फिरोज खान की सुपरहिट फिल्म कुर्बानी में अमजद खान ने हास्य अभिनय कर दर्शको का भरपूर मनोरंजन किया. वर्ष 1981 मे अमजद खान के अभिनय का नया रूप दर्शकों के सामने आया. प्रकाश मेहरा की सुपरहिट फिल्म लावारिस में वह अमिताभ बच्चन के पिता की भूमिका मे नजर आए.

हांलाकि अमजद खान ने फिल्म लावारिस से पहले अमिताभ बच्चन के साथ कई फिल्मों में खलनायक की भूमिका निभाई थी पर इस फिल्म के जरिये भी अमजद खान दर्शको की वाहवाही लूटने में सफल रहे. वर्ष 1981 में प्रदर्शित फिल्म याराना में उन्होंने सुपर स्टार अमिताभ बच्चन के दोस्त की भूमिका निभाई थी. फिल्म मे अपने दमदार अभिनय के लिये अमजद खान अपने सिने कैरियर में दूसरी बार सर्वश्रेष्ठ सह कलाकार के फिल्मफेयर पुरस्कार से भी सम्मानित किए गए. इसके पहले भी 1979 में भी उन्हें फिल्म दादा के लिए सर्वश्रेष्ठसह कलाकार के फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. इसके अलावा वर्ष 1985 में फिल्म मां कसम के लिए अमजद खान हास्य अभिनेता के फिल्मफेयर पुरस्कार से भी सम्मानित किए गए.

वर्ष 1983 में अमजद खान ने फिल्म चोर पुलिस के जरिए निर्देशन के क्षेत्र में भी कदम रखा लेकिन यह फिल्म बॉकस ऑफिस पर बुरी तरह से फ्लॉप रही. वर्ष 1986 में एक दुर्घटना के दौरान अमजद खान लगभग मौत के मुंह से बाहर निकले थे और इलाज के दौरान दवाइयों के लगातार सेवन करने से उनके स्वास्थ्य में लगातार गिरावट आती रही. उनका शरीर लगातार भारी होता गया. नब्बे के दशक में स्वास्थ्य खराब रहने के कारण अमजद खान ने फिल्मों मे काम करना कुछ कम कर दिया. अपनी अदाकारी से लगभग तीन दशक तक दर्शकों का भरपूर मनोरंजन करने वाले हरदिल अजीज अभिनेता अमजद खान आज ही के दिन 27 जुलाई 1992 को इस दुनिया से रूखसत हो गए.

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