AMU को एक फैसले में केंद्रीय संस्थान कहा गया था, अल्पसंख्यक संस्थान नहीं
AMU को एक फैसले में केंद्रीय संस्थान कहा गया था, अल्पसंख्यक संस्थान नहीं
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नई दिल्ली : अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को अल्पसंख्यक संस्थान करार देने की बहस के बीच एनडीए सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वह विश्वविद्यालय को गैर-अल्पसंख्यक संस्थान करार देने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली पूर्ववर्ती यूपीए सरकार की अपील को वापस लेगी।

अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा है कि अपील वापस ली जाए। आगे उन्होने कहा कि एएमयू से दूरी बनाने के केंद्र के फैसले के बारे में उन्होने तीन जजों की बेंच से कहा है कि मैंने दो माह पहले ही अपना मन बदल दिया था। न्यायमूर्ति जे एस खेहर की अध्यक्षता वाली पीठ से रोहतगी ने कहा कि मैं एएमयू से दूरी बना रहा हूँ।

उन्होने कहा कि यूनिवर्सिटी की स्थापना केंद्रीय कानून के अंतर्गत की गई थी। 1967 में शीर्ष अदालत के फैसले में इसे केंद्रीय विश्वविद्दालय कहा गया था, अल्पसंख्यक संस्थान नहीं। इसके बाद 1981 में इसे अल्पसंख्यक संस्थान कहने के लिए एक संसोधन लाई गई थी, लेकिन उच्च न्यायलय ने उसे असंवैधानिक करार दिया था।

उन्होने बेंच से कहा कि आप अजीज बाशा के फैसले की अवहेलना नहीं कर सकते। पीठ ने केंद्र को उसके द्वारा दाखिल अपील को वापस लेने के लिए आठ सप्ताह के अंदर एक हलफनामे के साथ आवेदन दाखिल करने की अनुमति दे दी। उन्होंने ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद के लिए सुनवाई स्थगित कर दी।

एएमयू का पक्ष वरिष्ठ वकील पी पी राव रख रहे थे। शीर्ष अदालत ने हस्तक्षेप करने वाले कुछ लोगों को भी मामले में सहायता करने की अनुमति दी जिनके लिए वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ने पक्ष रखा।

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