'आज ही के दिन हुए थे मोगेम्बो खामोश'
'आज ही के दिन हुए थे मोगेम्बो खामोश'
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आज बॉलीवुड के सबसे बड़े खलनायक अमरीश पुरी की पुण्यतिथि है, आज ही के दिन उन्होंने दुनिया से विदा ली थी.आज वो हमारे बीच नहीं है, लेकिन आज भी उनके ऐसे डायलॉग है जो लोगों की जुबान पर सुनने को मिल जाते हैं, और आज भी अमरीश पुरी लोगों की यादों में जिन्दा है, अमरीश पुरी का जन्म 22 जून 1932 को लाहौर, पंजाब (पाकिस्तान) में हुआ था और 12 जनवरी 2005 को वो दुनिया को अलविदा कह गए, उनकी मृत्यु मुंबई, महाराष्ट्र में हुई थी, जब उनकी मृत्यु हुई, तो कई समाचार पत्रों ने 'मोगेम्बो खामोश हुआ' हैडलाइन बनाई थी और दुनियाभर में उनके करोड़ों प्रशंसकों में एक उदासी छा गई थी.

अमरीश पुरी जवानी के दिनों में हीरो बनने मुंबई पहुंचे. उनके बड़े भाई मदन पुरी पहले से फिल्मों में थे. लेकिन निर्माताओं ने उनसे कहा कि तुम्हारा चेहरा हीरो की तरह नहीं है. उससे वो काफी निराश हो गए थे, नायक के बतौर अस्वीकार कर दिए जाने के बाद अमरीश पुरी ने थिएटर में अभिनय शुरू कर दिया और वहां खूब ख्याति पाई, इसके बाद 1970 में उनका सफर शुरू हुआ था, अमरीश पूरी ने हम पांच, नसीब, विधाता, हीरो, अंधा कानून, अर्ध सत्य जैसी फिल्मों में खलनायक कि ऐसी छाप छोड़ी कि फिल्म प्रेमियों के मन में उनके नाम से ही ख़ौफ़ पैदा हो जाता था.

अमरीश पूरी को अपने पोते-पोतियों से काफी ज्यादा लगाव था. जब वो उनके साथ होते, तो अपने बच्चो से कहते-चलो अब तुम लोग जाओ. ये हम बच्चों के खेलने का वक़्त है, उनके कुछ डायलॉग्स आज भी बहुत ही फेमस है जैसे :

फिल्म दिलवाले दुल्हनियां ले जाएंगे : जा सिमरन जा, जी ले अपनी जिंदगी...जा बेटा जा. 

फिल्म मिस्टर इंडिया : मोगेम्बो खुश हुआ.

फिल्म एतराज : आदमी के पास दिमाग हो न, तो वह अपना दर्द भी बेच सकता है.

फिल्म करण अर्जुन : ऐसी मौत मारूंगा इनको की भगवान ये पुनर्जन्म वाला सिस्टम ही ख़त्म कर देगा.

फिल्म फूल और कांटे : जहां तक मेरी आवाज पहुंच सकती है वहां मेरी गोली भी पहुंच सकती है.

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