कभी इस खिलाड़ी के पास जूते खरीदने तक के पैसे नहीं थे, अब देश के लिए जीता मेडल
कभी इस खिलाड़ी के पास जूते खरीदने तक के पैसे नहीं थे, अब देश के लिए जीता मेडल
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नई दिल्लीः विश्व बॉक्सिंग चैंपियनशिप में मेडल जीतकर इतिहास रचने वाले भारतीय बॉक्सर अमित पंघाल काफी अभाव वाले पृष्ठभूमि से आए हैं। उन्होंने इस मुकाम तक पहुंचने के लिए बेहद कड़े अनुभवों का सामना किया है। वर्ल्ड चैंपियनशिप के फाइनल में हारने के बावजूद भी सिल्वर मेडल जीतकर उन्होंने इतिहास बना दिया। 1974 में शुरू हुई विश्व चैंपियनशिप में भारत को 45 साल में पहली बार पुरुष वर्ग में सिल्वर मेडल प्राप्त हुआ। भारत ने अब तक वर्ल्ड चैंपियनशिप में केवल ब्रॉन्ज मेडल ही जीता था. विजेंदर सिंह , विकास कृष्ण, शिव थापा और गौरव विधूड़ी के बाद सेमीफाइनल में पहुंचने वाले पंघाल पांचवें भारतीय बॉक्सर थे. हालांकि फाइनल में पहुंचकर उन्होंने इतिहास रच दिया।

पंघाल पुरुष वर्ग में पहले बॉक्सर हैं जो वर्ल्ड चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचे थे. टूर्नामेंट में उन्होंने शुरुआत से ही शानदार प्रदर्शन किया और अंत तक उसी जज्बे से रिंग में विरोधियों का सामना करते रहे। अमित पंघास ने साल 2008 में बॉक्सिंग की शुरुआत की थी. अमित के चाचा गांव में बच्चों को बॉक्सिंग की ट्रेनिंग देते थे।

साल 2017 में जब वह पहली बार वर्ल्ड चैंपियनशिप में हिस्सा लेने जर्मनी के हैम्बर्ग गए तो उन्हें वहां एक दुकान पर एक खास जूते बहुत पसंद आए। यह जूते खासतौर पर बॉक्सिंग के लिए पहने जाते थे. हालांकि उनकी कीमत देना पंघाल के बस में नहीं था लेकिन जूते उन्हें इतने पसंद आए कि वह खुद को रोक नहीं पाए. ऐसे में उन्होंने उधार लेने का मन बनाया। साथी बॉक्सर कविंद्र बिष्ठ से उधार लेकर उन्होंने ये जूते खरीदे।

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