Jul 07 2016 09:19 PM
इलाहाबाद:- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सूबे की जेलों में बंद बुजुर्ग सजायाफ्ता कैदियों की समयपूर्व रिहाई की सरकारी नीति की जानकारी मांगी है। कोर्ट ने पूर्व में भी यह नीति पेश करने को कहा था और ऐसा न होने पर प्रमुख सचिव गृह को हर हाल में 13 जुलाई को इसे पेश करने का निर्देश दिया है।
यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायमूर्ति वीके शुक्ल एवं न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी की खंडपीठ ने लवकुश की जनहित याचिका पर दिया है।
कोर्ट ने प्रमुख सचिव से नैनी जेल में बंद हत्या के मामले में सजा काट रहे बुजुर्ग कैदी रामेश्वर की रिहाई के लिए जेल प्रशासन की रिपोर्ट पर लिए गए निर्णय से अवगत कराने को भी कहा है। याचिका में कहा गया है कि देश के तीन राज्यों में बुजुर्ग कैदियों के लिए प्री-मेच्योर (समयपूर्व) रिहाई की सरकारी नीति है लेकिन यूपी में ऐसी नीति का अब तक खुलासा नहीं किया गया है।
कहा गया है कि जेल मैन्युअल के रिकार्ड के मुताबिक जिन सजायाफ्ता कैदियों का रिकार्ड अच्छा है, उन्हें सरकारी नीति बनाकर रिहा किया जाना चाहिए।
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