रायपुर : एम्स बहरेपन और कान से सम्बंधित रोगों के उपचार के लिए नया कदम बढ़ाने को तैयार है. एम्स ने गरीब और जन्मजात बहरेपन से पीड़ित बच्चो और गाँवों में बहरेपन से प्रभावित बच्चो की लिस्ट तैयार कर उन्हें आधुनिक चिकित्सा उपलब्ध कराकर उनका इलाज सुनिश्चित करेगा.
इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने देश के दो उच्च चिकित्सा संस्थानों अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) रायपुर और भुवनेश्वर को एक बड़े प्रोजेक्ट के लिए चुना है. एम्स ने रायपुर से मिली जानकारी के अनुसार बहरेपन के शिकार सर्वाधिक बच्चे मध्य क्षेत्र छत्तीसगढ़, ओडिशा में है, जिनके लिए इस दिशा में कार्य करने के लिए 60 लाख रुपये का बजट स्वीकृत किया है.
इसके लिए एम्स रायपुर को 20 लाख रुपए की अत्याधुनिक उपकरणों से लैस एक वैन भी दी गई है. जो कि प्रोजेक्ट के बजट से ही है. इस वैन में टीम क्षेत्रों तक पहुंचेगी, और मौके पर ही बच्चों की जांच करेगी. गंभीर बच्चों को इलाज के लिए रायपुर एम्स लाया जाएगा. इसमें बहरापन, सुनने में समस्या का उपचार किया जायेगा.