राजद्रोह के बाद अब 'समान नागरिक संहिता' की बारी, जल्द केंद्र को अपनी रिपोर्ट सौंपेगा Law Commission
राजद्रोह के बाद अब 'समान नागरिक संहिता' की बारी, जल्द केंद्र को अपनी रिपोर्ट सौंपेगा Law Commission
Share:

नई दिल्ली: राजद्रोह कानून (Sedition Law) को लेकर भारतीय विधि आयोग (Law Commission) ने अपनी रिपोर्ट भारत सरकार को सौंप दी थी। राजद्रोह कानून को बरक़रार रखने की अपनी सिफारिश सरकार को सौंपने के बाद अब विधि आयोग की नजरें समान नागरिक संहिता (UCC) पर हैं। माना जा रहा है कि विधि आयोग जल्द ही UCC पर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप सकता है।

रिपोर्ट के अनुसार, उत्तराखंड के लिए UCC का ड्राफ्ट तैयार करने वाली समिति की प्रमुख जस्टिस (अवकाश प्राप्त) रंजना प्रकाश देसाई ने शुक्रवार (2 जून) को विधि आयोग के सदस्यों से मुलाकात के बाद ऐसी ही संभावनाएं जाहिर की हैं। सर्वोच्च न्यायालय की सेवानिवृत्त जज जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई ने अपनी समिति के सदस्यों के साथ विधि आयोग के प्रमुख सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी, सदस्य के टी शंकरन, आनंद पालीवाल और डीपी वर्मा के साथ चर्चा की।

इस दौरान समिति की तरफ से उत्तराखंड के लिए समान नागरिक संहिता को लेकर बनाए गए ड्राफ्ट पर भी मंथन हुआ। न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई ने इस मुलाकात के बाद कहा है कि आयोग इस मुद्दे पर अध्ययन करने वालों और हितधारकों से संपर्क करने का काम कर रहा है। विधि आयोग के सदस्यों के साथ हुई चर्चा से तो यही समझ में आता है। बता दें कि, गत वर्ष नवंबर माह में अध्यक्ष का कार्यभार संभालने के बाद न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी ने भी ऐसे संकेत दिए थे कि पिछले आयोग में लंबित महत्वपूर्ण मुद्दों पर 22वां विधि आयोग शोध कार्य आगे बढ़ाएगा। स्पष्ट है इसमें समान नागरिक संहिता का भी मामला है।  

क्या कहती है केंद्र सरकार:-

सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल हलफनामे में केंद्र ने स्पष्ट कहा है कि संविधान के चौथे भाग में राज्य के नीति निदेशक तत्व का विस्तृत ब्यौरा है जिसके अनुच्छेद 44 में कहा गया है कि सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करना सरकार का दायित्व है। अनुच्छेद 44 उत्तराधिकार, संपत्ति अधिकार, शादी, तलाक और बच्चे की कस्टडी के संबंध में देश के सभी लोगों के लिए समान कानून की अवधारणा पर आधारित है। सरकार ने हलफनामे में यह भी कहा है कि अनुच्छेद 44 धर्म को सामाजिक संबंधों और पर्सनल लॉ से अलग करता है। विभिन्न धर्मों को मानने वाले विभिन्न संपत्ति और वैवाहिक कानूनों का पालन करते हैं जो कि देश की एकता के विरुद्ध है। बता दें कि, देश की कुछ अदालतें भी समान नागरिक संहिता की वकालत कर एक देश एक कानून लागू करने की मांग कर चुकी हैं, ऐसे में यह माना जा रहा है कि, केंद्र द्वारा जल्द ही इसपर फैसला लिया जा सकता है।   

समीर वानखेड़े को दाऊद इब्राहिम के नाम से मिल रही धमकी, पूर्व NCB अफसर की पत्नी ने दी जानकारी

72 घंटे से बंद है नेशनल हाईवे, भूख-प्यास से बेहाल 600 यात्री

भीषण गर्मी की चपेट में झारखंड ! जानिए चिलचिलाती धुप से कब मिलेगी राहत

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -