हताशा में होती हीरोइनों की आत्महत्याएँ !
हताशा में होती हीरोइनों की आत्महत्याएँ !
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चका चौंध से भरी फ़िल्मी दुनिया की हकीकत से आम आदमी वाकिफ नहीं होता इसलिए उसका आकर्षण बना रहता है, जबकि इस आभासी दुनिया में काम करने वालों को न केवल शोषण का शिकार होना पड़ता है, बल्कि अपना स्तर बनाए रखने के लिए झूठी शान का दिखावा भी करना पड़ता है. बालीवुड की इस सपनीली दुनिया में जब सपने हकीकत में तब्दील नहीं होते तो हताशा में ख़ुदकुशी करने जैसे कदम भी उठाए जाते हैं.

छोटे पर्दे की बालिका वधु आनंदी उर्फ़ प्रत्युषा बनर्जी द्वारा हाल ही में की गई आत्महत्या ने एक बार फिर इस विषय को चर्चा में ला दिया है. प्रत्युषा अकेली नहीं है जिसने ख़ुदकुशी की है. इसके पहले अभिनेत्री जिया खान और बरसों पहले दिव्या भारती ने भी ख़ुदकुशी की थी. फर्क इतना है कि जिया खान फंदे पर लटकी पाई गई थी, जबकि दिव्या भारती ने बहुमंजिला इमारत से कूद कर ख़ुदकुशी की थी.

रुपहले पर्दे पर काम करने आई सभी लडकियों को माया नगरी मुंबई में सफलता नहीं मिलती. जो सफल हो जाती हैं उन्हें सफल होने के लिए कई कुर्बानियां देना पडती है. कास्टिंग काउच के सामने आए मामले इसी ओर इशारा करते हैं. वहीं कई असफल लडकियाँ देह व्यापार के दलदल में धंस कर गुमनामी के अँधेरे में खो जाती है.
 
टीवी और सिनेमा के पर्दे पर बने रहने के लिए खासतौर से स्थापित होने के लिए संघर्ष कर रही नई हीरोइनों को बाहरी चमक-दमक को बरकरार रखने के लिए कर्ज का भी सहारा लेना पड़ता है. थोड़ी सी मिली सफलता से इनके परिजनों की भी अपेक्षाएं बढ़ जाती है और वे अधिक पैसों की मांग करने लगते हैं. ऐसे में चारों तरफ से बढ़ते तनाव से ये अभिनेत्रियाँ अवसाद से घिर जाती हैं और अपनी तकलीफ को किसी से शेयर नहीं करती हैं. पर्दे पर वाचाल बनकर ज्ञान देने वाली हीरोइनें अन्तर्मुखी बन नासमझी कर ख़ुदकुशी कर मौत को गले लगा लेती हैं.

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