ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक जल का इस ग्रह से एक अनोखा नाता है, जानिये प्रयोग के नियम
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक जल का इस ग्रह से एक अनोखा नाता है, जानिये प्रयोग के नियम
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ज्योतिष के अनुसार और प्रकृति के मुताबिक हम जल यानि पानी के बिना जीवित नहीं रह सकते है| जीवन के निर्माण के लिए पांच तत्वों की आवश्यकता होती है. उसमे से एक महत्वपूर्ण तत्व, जल तत्त्व है. जल मूर्त वस्तुओं में सबसे ज्यादा मूल्यवान और चमत्कारी है. जल से केवल व्यक्ति का जीवन ही नहीं चलता, बल्कि उसकी भावनाएं, उसकी क्षमता और उसकी आध्यात्मिकता तय होती है.

 जल को जादुई या चमत्कारी क्यों माना जाता है?
- जल,सकारात्मक और नकारात्मक, दोनों उर्जाओं को सोख सकता है.
- यही वजह है कि जल को मंत्र से अभिमंत्रित करने की क्रिया की जाती है.
- शरीर का जल तत्त्व ही आपको शक्तिशाली और दिव्य बना सकता है.
- जल के प्रयोग से वास्तविक और काल्पनिक दोनों समस्याएं दूर की जा सकती हैं.   
- जीवन में जल का सही और संतुलित प्रयोग आपको स्वस्थ और विषमुक्त रखता है.
- यह भावनाओं को बहने से नियंत्रित करता है और आपको आध्यात्मिक बनाता है.

जल के प्रयोग के नियम और सावधानियां क्या हैं ?
- जल का अधिक से अधिक प्रयोग करने से आप स्वस्थ रह सकेंगे.
- दिन के समय ज्यादा जल और रात के समय कम पानी पीयें.
- खड़े होकर और एक बार में ढेर सारा जल न पीयें.  
- सामान्य तापमान का जल ही औषधि और जीवन की भांति कार्य करता है
- जल की रक्षा और संरक्षण करने से चंद्रमा और मन दोनों ही मजबूत होते हैं.
- अगर जल की बर्बादी की जाए, उसका दुरूपयोग किया जाए तो आर्थिक और मानसिक दोनों तरह की क्षतियां होती हैं.
- जिन लोगों के घर में जल की बर्बादी होती है, जल बहता रहता है या टपकता रहता है, वहां पर मानसिक समस्याएं और आर्थिक समस्याएं खूब आती हैं.

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