भारतीय पाक शास्त्र में हर शाक -सब्जी ,साबुत अनाज, दाल, आटा, फल, फूल,दूध, दही , शहद, मसाले आदि के गुणधर्म अनुसार वर्गीकृत किया गया है. सभी वस्तु को वाक् - पित्त -कफ के पैमाने पर एवम तासीर अनुसार भोजन में उपयोग किया जाता है और ध्यान रखा जाता है की किसी एक के गुणधर्म आपस में विरोध न हो , क्योंकि ऐसा होने पर भोजन का स्वाद एवम पौष्टिकता नष्ट हो जाती है .
कभी-कभी सब प्रकार से रुचिकार दिखने वाला भोजन भी तत्व असंतुलन के कारण स्वास्थ बिगाड़ देता है. हमारे भोजन में 9 गुण होते हैं. जिस भोजन में इन गुणों का विरोध पाया जाए तो उसे विरुद्धाहार कहा जाता है. भोजन के नौ गुण: इस प्रकार है. 1 वर्ण, 2 प्रसाद, 3 सुखम, 4 संतुष्टि, 5 सौस्वरयम, 6 पुष्टि, 7 प्रतिभा, 8 मेध, 9 बल का गुणो के समन्वय, सामंजस्य से भोजन एक संतुलित आहार बनता है .
आइये जाने किसके साथ क्या न खाये
1 दूध के साथ नमक वाले पदार्थ भी नही खाने चाहिए.
2 गेहूँ को तिल तेल में पकाना.
3 दही, शहद अथवा मदिरा के बाद गर्म पदार्थों का सेवन.
4 तांबे के बर्तन में घी रखना.
5 मूली के साथ गुड़ खाना.
6 मछली के साथ गुड़ लेना.
7 शहद को कभी भी पकाना नही चाहिए.
8 फल और सलाद के साथ दूध का सेवन करना.
9 मछली के साथ दूध पीना.
10 खाने के एकदम बाद चाय पीना
11 दूध और तिल को कभी साथ नहीं खाना चाहिए
12 अधिक परिश्रम करनेवाले व्यक्तियों के लिए रुखे-सूखे, वातवर्धक पदार्थ व कम भोजन तथा बैठे-बैठे काम करनेवाले व्यक्तियों के लिए चिकने, मीठे, कफवर्धक पदार्थ व अधिक भोजन अवस्थाविरुद्ध है.
13 खीर के साथ नमकवाला भोजन, खिचड़ी के साथ आइसक्रीम, मिल्कशेक - ये सब विरुद्ध आहार हैं.
14 शहद, घी, तेल व पानी इन चार द्रव्यों में से दो अथवा तीन द्रव्यों को समभाग मिलाकर खाना हानिकारक हैं .
15 दूध के साथ मूँग, उड़द, चना आदि सभी दालें, सभी प्रकार के खट्टे व मीठे फल, गाजर, शककंद, आलू, मूली जैसे कंदमूल, तेल, गुड़, शहद, दही, नारियल, लहसुन, कमलनाल, सभी नमकयुक्त व अम्लीय प्रदार्थ संयोगविरुध हैं .
किचन टिप्स
सर्दियों में भी पिये भरपूर पानी