आखिर किसे ठहराए बच्चों की मौत का जिम्मेदार?
आखिर किसे ठहराए बच्चों की मौत का जिम्मेदार?
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हर तरफ एक ही सवाल गूंज रहा है कि आखिर किसे जिम्मेदार ठहराए, कौन लेगा इस हादसे की जिम्मेदारी, न जाने मासूमों ने कितने ख्वाब सजाये होंगे कि वे आने वाले दिनों में क्या क्या करेंगे. इस हादसे ने तो इनके ख्वाबों को हमेशा के लिए बिखेर कर रख दिया.

न जाने कैसे उन मासूम बच्चों के माँ बाप उन्हें अलविदा कहेंगे, जिन्हे वे अपनी जान से भी बढ़कर प्यार करैत थे. न जाने कैसे उनके जाने का ग़म बर्दाश्त करेंगे. शायद इसलिए उन्हें इतने बड़े और अच्छे स्कूल में भर्ती करवाया था कि वे अपने फूल से बच्चों को खो दे? उनके भविष्य को संवारते-संवारते बच्चे ही कही दूर खो गए, जहां से वे कभी नहीं आ सकते. 

स्कूल मैनेजमेंट ने चंद जिम्मेदारियों से बचने के लिए और पैसों के लिए बच्चों की जिंदगी को दाव पर लगा दिया. अपने फायदे के लिए बस व्यवस्था ही बदल डाली, इसमें वे पुरानी और काम चलाऊ बसों को चला रहे थे. बस को तेज़ चलाने का मकसद भी समझ नहीं आता. इस ओर पुलिस प्रशाशन और आरटीओ ने कभी गौर तक नहीं किया कि कितनी पुरानी बसों को स्कूल सड़क पर दौड़ा रहा है. क्या पुलिस प्रशासन सिर्फ सड़क पर खड़े होकर चालान के टारगेट को पूरा करने की ज़िम्मेदारी लेते है, या इसके आलावा भी उनकी कोई ज़िम्मेदारी है. यह देखने की भी जरूरत नहीं होती कि उस बस में कितने बच्चो को बैठाया जा रहा है और बस कितनी रफ़्तार से दौड़ाई जा रही है. शायद इसी वजह से यह हादसा आज हमारे सामने है और ऐसा ही रहेगा तो इस तरह के हादसे होते रहेंगे. 

शायद गलती तो स्कूल मैनेजमेंट की ही है क्योंकि पैरेंट्स की चीखे उन्ही को टारगेट कर रही थी. शायद मैनेजमेंट पर पेरेंट्स की शिकायत का कोई असर नहीं हुआ. शिकायत पर थोड़े सम्भले होते तो बच्चें अपनी जिंदगी न खोते. बस खटारा है, बुरे तरीके से सड़क पर बस को चलाया जाता है, इस तरह की कई शिकायते आने के बाद भी मैनेजमेंट के कानो में जूं भी नहीं रेंगती. 

यह मामला सिर्फ इंदौर में ही नहीं हुआ, इस तरह के मामले प्रदेश के हर शहर में अधिकतर स्कूलों में ऐसे मामले हो रहे है. हर स्कूल इसी तुक में है किस तरह से पैसे बचाया जाए लेकिन फेसिलिटीस के नाम पर हर स्कूल पीछे है. इन बच्चों को न्याय तभी मिलेगा जब प्रदेश जिम्मेदारों को बेनकाब कर लापरवाही बरतने वालों को कड़ी से कड़ी सजा दे. इसके लिए पेरेंट्स और हमें मिल कर पहल करनी होगी.

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