भारतीय प्रधानमंत्री मोदी द्वारा बलूचिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (पीअोके) के लोगो पर पाकिस्तान द्वारा किजये जा रहे अत्याचारों का मुद्दा उठाया गया था. जिसका अब असर भी देखा जा रहा है. पाकिस्तान ने बलूचिस्तान से बाहर निर्वासन में रह रहे बलूच नेताओं को बातचीत के लिए बुलाया है. पाक ने कहा है कि इन मसलों का हल निकालने के लिए वार्ता ही एकमात्र रास्ता है.
रविवार को पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस के मौके पर जियारत स्थित कायदे आजम निवास पर आयोजित झंडारोहण कार्यक्रम के दौरान बलूचिस्तान के मुख्यमंत्री नवाब सनाउल्लाह जेहरी और दक्षिणी कमांड के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल अमीर रियाज ने कहा कि वे स्व-निर्वासित बलूच नेताओं के देश में लौटने का स्वागत करेंगे. साथ ही उन्होंने बलूचिस्तान छोड़कर चले गए बलूच नेताओं को भी पाक लौटने का निमंत्रण दिया.
उन्होंने कहा, कहा कि राष्ट्रीय राजनीति में शामिल होना या फिर राष्ट्रवादी आधार पर राजनीति करना, ये फैसला उनके हाथों में होगा. अगर बलूचिस्तान के लोग आपको चुनते हैं, तो हम इस फैसले का सम्मान करेंगे. जेहरी ने यह भी कहा कि सरकार के लिए ऐसे नेताओं की मांगों और विचारधारा को बंदूक के जोर पर स्वीकार कर पाना मुमकिन नहीं होगा. उन्होंने कहा कि हम किसी भी व्यक्ति को बल का प्रयोग कर अपनी विचारधारा थोपने की इजाजत नहीं देंगे. हम पिछले 500 साल से बलूचिस्तान के रक्षक हैं. बलूचिस्तान अपनी मर्जी से पाकिस्तान में शामिल हुआ था.