नई दिल्ली. भारत के इतिहास में पहली बार केरल के मलप्पुरम में 34 वर्षीय महिला ने जुम्मे की नमाज़ अता कराई. शुक्रवार 26 जनवरी को कुरान सुन्नत सोसायटी की महासचिव जमीता ने नमाज़ के दौरान इमाम की भूमिका निभाई. जमीता ने इस्लाम के खिलाफ जाकर यह कदम उठाया है, इस कारण अब कई कट्टरपंथी उनके विरोध में उतर आए हैं. हालांकि जमीता अपने इस कार्य को इस्लाम विरोधी नहीं मानती हैं.
मालूम हो कि कुरान सुन्नत सोसायटी की महासचिव जमीता ने मुस्लिम बहुल जिले में सोसायटी के कार्यालय में 26 जनवरी को जुम्मे की नमाज के दौरान इमामत की. इस दौरान महिलाओं समेत करीब 80 लोगों ने इस नमाज़ में हिस्सा लिया था. जमीता का मानना है कि वो पुरुषों की बनाई रुढ़ियों को तोड़ना चाहती हैं. वह बताती हैं कि इस्लाम में कहीं नहीं लिखा है कि केवल पुरुष ही जुम्मे की नमाज़ अता करवा सकते हैं. कुरान में किसी भी धार्मिक कृत्य या विश्वास को लेकर कोई लैंगिक भेदभाव नहीं है.
इस मामले में इस्लामिक विद्वानों का मत एकदम अलग है. उनके अनुसार जुम्मे की नमाज़ केवल मुस्लिम मर्द बालिगों द्वारा पढ़ी जाती है. इधर जमीता के नमाज़ में इमामत करने को लेकर कट्टरपंथी उनके विरोध में उतर आए हैं. यहाँ तक कि वे जमीता को हत्या करने की धमकी भी दे रहे हैं.
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