सेबी ने सख्त किये कोलेट्रल से जुड़े नियम
सेबी ने सख्त किये कोलेट्रल से जुड़े नियम
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सेबी ने रिस्क मैनेजमेंट को और मजबूत करने के लिए कोलेट्रल से जुड़े नियमों को और सख्त कर दिया हैं. इस बारे में क्लियरिंग कार्पोरेशन को आवश्यक निर्देश दिए गए हैं. सेबी ने क्लियरिंग कार्पोरेशन को निर्देश दिए हैं कि वे ट्रेडिंग और क्लियरिंग मेंबर या फिर उनसे जुड़े बैंकों द्वारा जारी एफडीआर अर्थात फिक्स डिपाजिट रिसीट को कोलेट्रल के रूप में स्वीकार न करें.

इसके अलावा यह भी कहा हैं कि अगर क्लियरिंग कार्पोरेशन के पास इस तरह की कोई एफडीआर रखी गई हैं तो वो 6 माह के भीतर इस कोलेट्रल को बदल लें. सेबी के अनुसार इस तरह के कई मामले सामने आए हैं जहां बैंकों ने अपने ही द्वारा जारी एफडीआर कोक्लियरिंग कॉरपोरेशन के पास कोलेट्रल के रूप में रखा हैं. ये बैंक या तो ट्रेडिंग मेंबर हैं या स्टॉक एक्सचेंज और क्लियरिंग कार्पोरेशन के क्लियरिंग मेंबर भी हैं.

सेबी ने नियमों में यह सख्ती कोलेट्रल के लिए पहले से जारी ग्लोबल स्टैण्डर्ड के आधार पर की हैं इंटरनेशनल सिक्युरिटी रेग्युलेटर बॉडी ने सलाह दी थी कि घरेलू बाजार को रिस्क मैनेजमेंट से जुड़े नियम इंटरनेशनल स्टैण्डर्ड से ही तय होने चाहिए.

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