कहीं सीरिया से न हो जाऐं पाकिस्तान के हालात!
कहीं सीरिया से न हो जाऐं पाकिस्तान के हालात!
Share:

पाकिस्तान: कभी कश्मीर पर भड़काउ बयानबाजियां करवाकर तो कभी भारतीय सीमा पर गोलीबारी और आतंकवाद को धकेलकर भारत को अस्थिर करने का प्रयास करता रहा है। इस्लामिक आतंकवाद का संवाहक पाकिस्तान अब आतंक से खुद ही परेशान हो गया है। न तो वह हक्कानी नेटवर्क के विरूद्ध पर्याप्त कार्यवाही कर अमेरिकी वाह-वाही ले पा रहा है और न ही भारत की ओर पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से खुद के स्वार्थ को सिद्ध कर पा रहा है। जी हां, अब तो पाकिस्तान भी कमोबेश सीरिया के हालातों की तरह हो गया है।

जहां पर आज रावलपिंडी तो कल पेशावर और परसों कराची में बम धमाके गूंज रहे हैं। आतंक का समर्थन करने वाली सैन्य समर्थित एजेंसी आईएसआई ने पाकिस्तान की जनता को बारूद के ढेर पर बैठा दिया है और तख्तापलट के डर से हिलती कुर्सी को इसके जनप्रतिनिधि नेता जैसे - तैसे संभाल रहे हैं। पाकिस्तान के हालात बेहद खराब हैं। यहां पर समुचित शिक्षा, इंफ्रास्ट्रक्चर, व्यावसायिक विकास तो दूर की बात है। लोगों के लिए सुख चैन से घूमने के लिए भी पर्याप्त शांति नहीं है।

यहां के लोग बंदूकों के डर और बारूदों के विस्फोट के बीच जीवन जी रहे हैं। वह पाकिस्तान जहां पर सैन्य शासन प्रमुख रहा और आईएसआई इसकी सियासी कमान को सैन्य शासन के साथ संभालती रही वहां लोकतंत्र केवल नाम का रहा है। कश्मीर मसले पर सीधी लड़ाई से पाकिस्तान को कुछ हासिल नहीं हुआ तो उसने आतंकवाद को भारत की ओर ढकेल दिया। पाकिस्तान के रणनीतिकार सदैव सेना के दबाव में रहे। पाकिस्तान आतंकवाद के माध्यम से कश्मीर हथियाने की बात करता रहा।

ऐसे कई आतंकी हैं जिन पर अमेरिका तक आपत्ती ले रहा है उन आतंकियों को पाकिस्तान में कई बार बयानबाजियां करते हुए देखा गया है। जब ये आतंकी मुंबई में हुए 26/11 जैसे आतंकी हमलों के जिम्मेदार होते हैं फिर भी पाकिस्तान में इन्हें पकड़ा नहीं जाता बल्कि ये आतंक को और फैलाते हैं। नफरत फैलाकर ये कश्मीर में हिंसा भड़काते हैं। जहां की जनता खुद ही पाकिस्तान से स्वायत्ता की मांग कर रही हो वहां पर लोकतंत्र की स्थिति का स्पष्ट पता चलता है। आतंक के मसले पर पाकिस्तान घिर चुका है।

जिस तरह से वह भारत का वीज़ा प्राप्त करने वाले अफगान लोगों को पाकिस्तान में आने से रोक रहा है उससे वह अफगानिस्तान का विरोध प्राप्त कर रहा है। इतना ही नहीं आतंकवाद के मसले पर उसका कोई साथ देने वाला नहीं है। चीन भी अपना हित साधकर पाकिस्तान से अलग हो सकता है। ऐसे में कहीं पाकिस्तान में चलने वाले आतंकी केंद्रों को समाप्त करने के लिए पाकिस्तान पर सीरिया जैसी कार्रवाई न हो जाए।

यदि ऐसा हुआ तो पाकिस्तान के हालात काफी बदहाल हो जाऐंगे मगर वहां की जनता को आतंक से मुक्ति मिलेगी। पाकिस्तान में दाऊद अपना लगभग अंतिम समय निकाल रहा है। उसके इतने बड़े अंडरवल्र्ड साम्राज्य को बचाने के लिए उसके साथ लोग लगे हुए हैं मगर सभी डर से थर्रा रहे हैं कि कब कौन सा बम फट जाए और फिर उनके कारोबार का क्या होगा!

'लव गडकरी'

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -