एटा: शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए केंद्र सरकारे, राज्य सरकारे कई प्रकार की कोशिशे कर रही है. परन्तु लगता है, वे केवल कोशिश ही बन कर रह गई है, वे नतीजे में परिवर्तित नहीं हो सकी. विभिन्न सरकारों के द्वारा शिक्षा के स्तर को उठाने लिए स्कूल चलो, सर्व शिक्षा अभियान, मध्याह्न भोजन, दशमोत्तर छात्रवृत्ति समेत तमाम योजनाएं चला शिक्षा की अलख जगा रही हैं, लेकिन शिक्षा की गुणवत्ता में कोई फर्क महसूस नहीं किया जा रहा हैं, हालात जस के तस बने हुए हैं.
'राष्ट्रीय शिक्षा दिवस' के मौके पर शिक्षा के क्षेत्र में आये बदलाव और वर्तमान स्थिति पर ध्यान केंद्रित करना अति आवश्यक हैं. जिले की प्राथमिक शिक्षा की बात करे तो जिले में कुल 1296 प्राथमिक विद्यालय हैं, जिनमे लगभग 100 से ज्यादा विद्यालय केवल एक शिक्षक के सहारे है. जिले में शिक्षा के हालात ये है कि कई योजनाओ के बोझ के चलते इन स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था पूर्णतः धराशायी हो रही है. इनके अलावा अधिकतर ऐसे स्कूल भी मौजूद हैं, जहां शिक्षक समय पर नहीं पहुंचते या आते ही नहीं हैं.
जिले के 120 में से कुछ महाविद्यालयों को छोड़ दें, तो हर जगह शिक्षा व्यवस्था कागजों तक सीमित हैं. बेसिक शिक्षा अधिकारी एसके तिवारी का कहना है कि बेसिक शिक्षा में अहम बदलाव भी हुए हैं. डीआईओएस एसपी यादव का कहना हैै कि माध्यमिक स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था दुरुस्त करने के प्रयास चल रहे हैं. नकल पर नकेल कसने के लिए व्यवस्था आनलाइन की गई है. वही जेएलएन पीजी कालेज के प्राचार्य डॉ. अनिल सक्सेना का कहना है कि उच्च शिक्षा के प्रति विद्यार्थियों का रुझान बढ़ा है. एवं विवि स्तर पर कुछ कमियां दूर हुई हैं.
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