हिलेरी के लिए क्लिंटन फाउंडेशन बना मुसीबत
हिलेरी के लिए क्लिंटन फाउंडेशन बना मुसीबत
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वाशिंगटन। अमेरिकी विदेश मंत्री रहते सरकारी कार्यों के लिए निजी सर्वर के इस्तेमाल मामले में राहत मिलने के बाद अब हिलेरी क्लिंटन के लिए क्लिंटन फाउंडेशन मुसीबत का सबब बन गया है। उन पर विदेश मंत्री रहते फाउंडेशन के दानदाताओं को फायदा पहुंचाने का आरोप है। 2009-13 तक विदेश मंत्री रहीं हिलेरी इस बार राष्ट्रपति पद की डेमोक्रेटिक दावेदार हैं। उनके रिपब्लिकन प्रतिद्वंद्वी डोनाल्ड ट्रंप ने इस मामले की जांच स्वतंत्र विशेष अभियोजक से कराने की मांग की है।

ओहायो में सोमवार को ट्रंप ने कहा कि कानून मंत्रालय को इस मामले में एक विशेष अभियोजक नियुक्त करना चाहिए, क्योंकि पूर्व में वह खुद को व्हाइट हाउस की राजनीतिक शाखा साबित कर चुका है। उन्होंने कहा कि हिलेरी ने अपने कार्यों से अमेरिकी संविधान द्वारा स्थापित चार महत्वपूर्ण मंत्रालयों में से एक को भ्रष्ट और बदनाम कर दिया। आप क्लिंटन फाउंडेशन को बड़ी रकम और बिल क्लिंटन को व्याख्यान के लिए भारी फीस देकर उनके जमाने में विदेश मंत्रालय को नचा सकते थे। ट्रंप ने कहा कि फाउंडेशन को मिले दान, उसकी ओर से किए गए कार्यों आदि की त्वरित जांच एक विशेष अभियोजक से कराई जानी चाहिए। एफबीआइ और कानून मंत्रालय ने हिलेरी के खिलाफ निजी सर्वर इस्तेमाल मामले में जिस तरह लीपापोती की है उससे उनसे त्वरित और निष्पक्ष जांच की उम्मीद नहीं की जा सकती।

गौरतलब है कि पिछले दिनों निगरानी संगठन ज्यूडिशियल वाच ने 725 पन्नों के दस्तावेज सार्वजनिक किए थे। इन दस्तावेजों से पता चलता है कि क्लिंटन फाउंडेशन के अधिकारी डगलस बैंड की विदेश मंत्रालय में पहुंच थी। वे मंत्रालय के कामकाज में हस्तक्षेप करते थे और शीर्ष अधिकारियों को निर्देश देते थे। हिलेरी की प्रचार टीम ने इन आरोपों को खारिज करते हुए पिछले सप्ताह घोषणा की थी कि यदि पूर्व विदेश मंत्री राष्ट्रपति बनीं तो क्लिंटन फाउंडेशन चंदा नहीं लेगा।

 

 

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