अद्भुत शिवमंत्र मृत्युभय से रक्षा करता है
अद्भुत शिवमंत्र मृत्युभय से रक्षा करता है
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भगवान शिव देवों के देव हैं और खुद मृत्यु उनके भय के मारे भाग जाती है। आज के वैज्ञानिक दौर में बहुत लोगों को विश्वास नहीं होता है, पर आज भी मंत्र अपना प्रभाव रखते हैं। आज हम आपको एक ऐसा शिव मंत्र बताने जा रहे हैं जो शास्त्रों में मिलता है, कहा जाता है कि इस मंत्र के नित्य जाप करने से व्यक्ति अपनी मृत्यु का भय दूर कर सकता है।

शिव का अर्थ है, जो नहीं है। और जो नहीं है, उस तक अगर पहुंच पाएंगे, तो आप देखेंगे कि इसकी प्रकृति भौतिक नहीं है। अर्थात् इसका अस्तित्व नहीं है, पर यह धुंधला है, अपारदर्शी है। लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है?  यह तो आपके तार्किक दिमाग के दायरे में नहीं है। पर आधुनिक विज्ञान मानता है कि इस पूरी रचना को इंसान के तर्कों पर खरा उतरना होगा, बस जीवन को देखने का यह बेहद सीमित तरीका है।

संपूर्ण सृष्टि मानव बुद्धि के तर्कों पर कभी खरी नहीं उतरेगी। आपका दिमाग इस सृष्टि में फिट हो सकता है, यह सृष्टि आपके दिमाग में कभी फिट नहीं हो सकती। तर्क इस अस्तित्व के केवल उन पहलुओं का विश्लेषण कर सकते हैं, जो भौतिक हैं। एक बार अगर आपने भौतिक पहलुओं को पार कर लिया, तो आपके तर्क पूरी तरह से उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर होंगे।

शिवलिङ्ग (शिवलिंग), का अर्थ है भगवान शिव का आदि-अनादी स्वरुप। शून्य, आकाश, अनन्त, ब्रह्माण्ड और निराकार परमपुरुष का प्रतीक होने से इसे लिंग कहा गया है। वातावरण सहित घूमती धरती या सारे अनन्त ब्रह्माण्ड (ब्रह्माण्ड गतिमान है) का अक्ष/धुरी (axis) ही लिंग है।

शिवलिंग पर विभिन्न सामग्रियों जैसे-दूध, दही, गंगाजल, घृत, गन्ने का रस, सुगंधित द्रव्य आदि से अभिषेक करने का यही तात्पर्य है कि इन विभिन्न सामग्रियों के माध्यम से हम विश्व वसुधा को समुन्नत कर रहे हैं। अपने कर्मों को विभिन्न रूपों में शिवरूपी ब्रह्मांड को अर्पण कर रहे हैं। यह समर्पण की भावना ही हमें शिव की ओर अर्थात कल्याण की ओर ले जाती है।

भगवान शिव की पूजा केवल कर्मकांड, मनोकामना पू्र्ति के लिए ही नहीं है यह पूजा इसलिए भी है कि व्यक्ति का मन स्वच्छ हो। जिस तरह हम भगवान शिव का जल-दुग्ध आदि पवित्र द्रव्यों से अभिषेक करते हैं उसी तरह हम भी अपने मन को निरंतर निर्मल करते रहें, जिस तरह हम विभिन्न सामग्रियों को भगवान को अर्पण करते हैं, उसी तरह इस विश्व-वसुधा की भी सेवा करते रहें।

शिवलिंग का जल स्नान कराने के बाद पंचोपचार पूजा यानी सफेद चंदन, अक्षत, बिल्वपत्र, आंकडे के फूल व मिठाई का भोग लगाकर इस आसान शिव मंत्र का ध्यान जीवन में शुभ-लाभ की कामना से करें। यह शिव मंत्र मृत्युभय, दरिद्रता व हानि से रक्षा करने वाला भी माना गया है-

पञ्चवक्त्र: कराग्रै: स्वैर्दशभिश्चैव धारयन्।
अभयं प्रसादं शक्तिं शूलं खट्वाङ्गमीश्वर:।।
दक्षै: करैर्वामकैश्च भुजंग चाक्षसूत्रकम्।
डमरुकं नीलोत्पलं बीजपूरकमुक्तमम्।

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