5 बड़े नेता जिनकी सियासत में सबसे ज्यादा चर्चा है
5 बड़े नेता जिनकी सियासत में सबसे ज्यादा चर्चा है
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देश की आजादी के बाद से ही राजनीती में कई चेहरे आये और चले गए, सरकारें बनी फिर बिगड़ी और सियासत में सियासतदारों का आना जाना लगा रहा. बदलते दौर के साथ ऐसे में कई नेता आये जिन्होंने अपनी अलग छाप छोड़ी ऐसे ही कुछ सामयिक नेताओं के  जीवन से जुड़े हर पहलु को छूती ये रिपोर्ट हम आपके साथ साँझा कर रहे है, जिसमे हम आज के समय के पांच प्रमुख नेताओं के बारे में पूर्ण विस्तार से आपको बता रहे है.

नरेंद्र  मोदी :- 

नरेन्द्र मोदी का जन्म तत्कालीन बॉम्बे राज्य के महेसाना जिला स्थित वडनगर ग्राम में हीराबेन मोदी और दामोदरदास मूलचन्द मोदी के एक मध्यम-वर्गीय परिवार में 17 सितम्बर 1950 को हुआ. युवावस्था में वह छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में शामिल हुए, उन्होंने साथ ही साथ भ्रष्टाचार विरोधी नव निर्माण आन्दोलन में हिस्सा लिया, एक पूर्णकालिक आयोजक के रूप में कार्य करने के पश्चात् उन्हें भारतीय जनता पार्टी में संगठन का प्रतिनिधि मनोनीत किया गया. किशोरावस्था में अपने भाई के साथ एक चाय की दुकान चला चुके मोदी ने अपनी स्कूली शिक्षा वड़नगर में पूरी की. मोदी ने आरएसएस के प्रचारक रहते हुए 1980 में गुजरात विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर परीक्षा दी और एम॰एससी॰ की डिग्री प्राप्त की. अपने माता-पिता की कुल छ: सन्तानों में तीसरे पुत्र नरेन्द्र ने बचपन में रेलवे स्टेशन पर चाय बेचने में अपने पिता का भी हाथ बँटाया. 13 वर्ष की आयु में नरेन्द्र की सगाई जसोदा बेन चमनलाल के साथ कर दी गयी और जब उनका विवाह हुआ, वह मात्र 17 वर्ष के थे. पति-पत्नी ने कुछ वर्ष साथ रहकर बिताये. परन्तु कुछ समय बाद वे दोनों एक दूसरे के लिये अजनबी हो गये क्योंकि नरेन्द्र मोदी ने उनसे कुछ ऐसी ही इच्छा व्यक्त की थी. हालांकि नरेन्द्र मोदी ने शपथ पत्र प्रस्तुत कर जसोदाबेन को अपनी पत्नी स्वीकार किया है.


संघ के एक निष्ठावान प्रचारक के रूप में शुरुआती जीवन से ही राजनीतिक सक्रियता दिखलायी और भारतीय जनता पार्टी का जनाधार मजबूत करने में प्रमुख भूमिका निभायी. 1995 में नरेन्द्र मोदी को दिल्ली बुला कर भाजपा में संगठन की दृष्टि से केन्द्रीय मन्त्री का दायित्व सौंपा गया 1998 में उन्हें पदोन्नत करके राष्ट्रीय महामन्त्री (संगठन) का उत्तरदायित्व दिया गया. अक्टूबर 2001 में गुजरात के मुख्यमन्त्री बने. वे एक लोकप्रिय वक्ता है. कुर्ता-पायजामा व सदरी के अतिरिक्त वे कभी-कभार सूट भी पहन लेते हैं, अपनी मातृभाषा गुजराती के अतिरिक्त वह हिन्दी में ही बोलते हैं

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राहुल गाँधी:- राहुल गांधी का जन्म 19 जून 1970 को नई दिल्ली में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और श्रीमती सोनिया गांधी के यहां हुआ . वह अपने माता-पिता की दो संतानों में बड़े हैं और प्रियंका गांधी वाड्रा के बड़े भाई हैं. राहुल गांधी की दादी इंदिरा गांधी भारत की पूर्व प्रधानमंत्री थीं. राहुल गांधी की प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली के सेंट कोलंबस स्कूल में की और इसके बाद वो प्रसिद्ध दून विद्यालय में पढ़ने चले गये जहां उनके पिता ने भी विद्यार्जन किया था. सन 1981-83 तक सुरक्षा कारणों के कारण राहुल गांधी को अपनी पढ़ाई घर से ही करनी पड़ी. राहुल ने हार्वर्ड विश्वविद्यालय के रोलिंस कॉलेज फ्लोरिडा से 1994 में कला स्नातक की उपाधि प्राप्त की. इसके बाद1995 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के ट्रिनिटी कॉलेज से एम.फिल. की उपाधि प्राप्त की. स्नातक स्तर तक की पढ़ाई के बाद राहुल गांधी ने प्रबंधन गुरु माइकल पोर्टर की प्रबंधन परामर्श कंपनी मॉनीटर ग्रुप के साथ 3 साल तक काम किया. इस दौरान उनकी कंपनी और सहकर्मी इस बात से पूरी तरह से अनभिज्ञ थे कि वे कौन है यहाँ राहुल का नाम  रॉल विंसी था. सन 2002 के अंत में वह मुंबई में स्थित अभियांत्रिकी और प्रौद्योगिकी से संबंधित एक कम्पनी 'आउटसोर्सिंग कंपनी बैकअप्स सर्विसेस प्राइवेट लिमिटेड' के निदेशक-मंडल के सदस्य बन गये.

 मार्च 2004 में, मई 2004 का चुनाव लड़ने की घोषणा के साथ उन्होंने भारतीय राजनीति में प्रवेश की घोषणा की, वह अपने पिता के पूर्व निर्वाचन क्षेत्र उत्तर प्रदेश के अमेठी से लोकसभा चुनाव के लिए खड़े हुए, जो भारत की संसद का निचला सदन है. राहुल चुनाव विशाल बहुमत से जीते, वोटों में 1,00,000 के अंतर के साथ इन्होंने अपने चुनाव क्षेत्र को परिवार का गढ़ बनाए रखा. 

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अमित शाह:- अमित शाह का जन्म 22 अक्टूबर 1964 को महाराष्ट्र के मुंबई में एक व्यापारी के घर हुआ था. वे गुजरात के एक रईस परिवार से ताल्लुक रखते है. उनका गाँव पाटण जिले के चँन्दूर में है. मेहसाणा में शुरुआती पढ़ाई के बाद बॉयोकेमिस्ट्री की पढ़ाई के लिए वे अहमदाबाद आए, जहां से उन्होने बॉयोकेमिस्ट्री में बीएससी की, उसके बाद अपने पिता का बिजनेस संभालने में जुट गए. राजनीति में आने से पहले वे मनसा में प्लास्टिक के पाइप का पारिवारिक बिजनेस संभालते थे. वे बहुत कम उम्र में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए थे. 1982 में उनके अपने कॉलेज के दिनों में शाह की मुलाक़ात नरेंद्र मोदी से हुयी. 1983 में वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े और इस तरह उनका छात्र जीवन में राजनीतिक रुझान बना. शाह का विवाह सोनल शाह से हुआ, जिनसे उन्हें एक पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई, जिनका नाम जय है.  शाह 1986 में भाजपा में शामिल हुये. 1987 में उन्हें भारतीय जनता युवा मोर्चा का सदस्य बनाया गया. शाह को पहला बड़ा राजनीतिक मौका मिला 1991 में, जब आडवाणी के लिए गांधीनगर संसदीय क्षेत्र में उन्होंने चुनाव प्रचार का जिम्मा संभाला. दूसरा मौका 1996 में मिला, जब अटल बिहारी वाजपेयी ने गुजरात से चुनाव लड़ना तय किया. इस चुनाव में भी उन्होंने चुनाव प्रचार का जिम्मा संभाला. पेशे से स्टॉक ब्रोकर अमित शाह ने 1997 में गुजरात की सरखेज विधानसभा सीट से उप चुनाव जीतकर अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की. 1999 में वे अहमदाबाद डिस्ट्रिक्ट कोऑपरेटिव बैंक (एडीसीबी) के प्रेसिडेंट चुने गए. 2009 में वे गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन के उपाध्यक्ष बने.  2014 में नरेंद्र मोदी के अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद वे गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष बने. 2003 से 2010 तक उन्होने गुजरात सरकार की कैबिनेट में गृहमंत्रालय का जिम्मा संभाला.

 
2012 में नारनुपरा विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से उनके विधानसभा चुनाव लड़ने से पहले उन्होंने तीन बार सरखेज विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया. वे गुजरात के सरखेज विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से चार बार क्रमश: 1997 (उप चुनाव), 1998, 2002 और 2007 से विधायक निर्वाचित हो चुके हैं. वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के करीबी माने जाते हैं. 

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ज्योतिरादित्य माधवराव सिंधिया :- ज्योतिरादित्य माधवराव सिंधिया भारत सरकार की पंद्रहवीं लोकसभा के मंत्रिमंडल में वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री है. श्री सिंधिया लोकसभा की मध्य प्रदेश स्थित गुना संसदीय सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं. ज्योतिरादित्य भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से सम्बन्ध रखते हैं. 1971 की 1 जनवरी को पैदा हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया जन्म मुम्बई के समुद्रमहल में हुआ था. उनके नामकरण को लेकर भी किस्सा है. ज्योतिरादित्य की दादी चाहती थी कि उनका नाम देवता ज्योतिबा के नाम पर रखा जाए, जबकि माधवराव और माधवीराजे ने विक्रमादित्य नाम सोच रखा था. बाद में उनका नाम ज्योतिरादित्य रखा गया.ज्योतिरादित्य की बहन चित्रांगदा है, जो उनसे तीन साल बड़ी हैं. ज्योतिरादित्य सिंधिया के जन्म पर महीनो तक ग्वालियर में जश्न मनाया गया, क्योंकि उनके जन्म के साथ ही ग्वालियर राजघराने को अपना वारिस मिल गया था, ये इसलिए भी महत्वपूर्ण था क्योंकि इससे करीब 100 साल पहले सिंधिया राजवंश को वारिस गोद लेना पड़ा था. ज्योतिरादित्य सिंधिया की शादी बडौदा के गायकवाड़ घराने की राजकुमारी प्रियदर्शनी राजे से 12 दिसंबर 1994 को हुई, प्रियदर्शनी राजे के पिता कुंवर संग्राम सिंह के तीसरे बेटे थे, जबकि उनकी मां नेपाल राजघराने से ताल्लुक रखती हैं. ज्योतिरादित्य की पत्नी प्रियदर्शनी राजे भी बेहद खास है और उन्हें विश्व की टॉप-50 ब्यूटीफुल वीमंस में शामिल किया गया है.


ज्योतिरादित्य सिंधिया का आशियाना पूरी दुनिया में खास है, वे 1874 में यूरोपियन शैली में बने शानदार महल जयविलास पैलेस में रहते हैं, इस शाही महल में कुल 400 कमरें हैं, महल की छतों पर सोना लगा हुआ है. 2001 में पिता की मौत के बाद बने ग्वालियर के नए महाराज, अपने पिता एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री माधवराव सिंधिया के संसदीय क्षेत्र गुना-शिवपुरी से सासंद बने. लोकसभा में वे चौथी बार सदस्य बने.  ज्योतिरादित्य सिंधिया के जीवन से जुड़ी और बाते जाने

अरविंद केजरीवाल :- अरविंद केजरीवाल आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं इससे पहले वो एक सामाजिक कार्यकर्ता रहे हैं और सरकारी कामकाज़ में अधिक पारदर्शिता लाने के लिये संघर्ष किया. भारत में सूचना अधिकार अर्थात सूचना कानून (सूका) के आन्दोलन को जमीनी स्तर पर सक्रिय बनाने, सरकार को जनता के प्रति जवाबदेह बनाने और सबसे गरीब नागरिकों को भ्रष्टाचार से लड़ने के लिये सशक्त बनाने हेतु उन्हें वर्ष 2006  में रमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया. 1995 में, अरविंद ने 1993 के बैच के आईआरएस अधिकारी सुनीता से शादी की. उन्होंने आयकर अपीलीय ट्रिब्यूनल में आयकर आयुक्त के रूप में 2016 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली. इस युगल के दो बच्चे हैं,केजरीवाल शाकाहारी हैं और कई वर्षों से विपश्यना ध्यान तकनीक का अभ्यास कर रहे हैं. उन्होंने आम आदमी पार्टी के नाम से एक नये राजनीतिक दल की स्थापना की. अरविंद केजरीवाल का जन्म 1968 में हरियाणा के हिसार शहर में हुआ और उन्होंने 1989 में आईआईटी खड़गपुर से यांत्रिक अभियांत्रिकी में स्नातक की उपाधि प्राप्त की. बाद में, 1992 में वे भारतीय नागरिक सेवा (आईसीएस) के एक भाग, भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) में आ गए और उन्हें दिल्ली में आयकर आयुक्त कार्यालय में नियुक्त किया गया. शीघ्र ही, उन्होंने महसूस किया कि सरकार में बहुप्रचलित भ्रष्टाचार के कारण प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है. अपनी अधिकारिक स्थिति पर रहते हुए ही उन्होंने, भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम शुरू कर दी. प्रारंभ में, अरविंद ने आयकर कार्यालय में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए कई परिवर्तन लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. जनवरी 2000 में, उन्होंने काम से विश्राम ले लिया और दिल्ली आधारित एक नागरिक आन्दोलन-परिवर्तन की स्थापना की, जो एक पारदर्शी और जवाबदेह प्रशासन को सुनिश्चित करने के लिए काम करता है. इसके बाद, फरवरी 2006 में, उन्होंने नौकरी से इस्तीफा दे दिया और पूरे समय के लिए सिर्फ 'परिवर्तन' में ही काम करने लगे. सूचना अधिकार अधिनियम के लिए अभियान शुरू किया, जो जल्दी ही एक मूक सामाजिक आन्दोलन बन गया, दिल्ली में सूचना अधिकार अधिनियम को 2001 में पारित किया गया.

   

अरविन्द को वर्ष 2006 के लिए लोक सेवा में सीएनएन आईबीएन 'इस वर्ष का भारतीय' के लिए नामित किया गया. उन्होंने बाकायदा गांधी टोपी, जो अब "अण्णा टोपी" भी कहलाने लगी है, पहनी थी. उन्होंने टोपी पर लिखवाया, "मैं आम आदमी हूं." आम आदमी पार्टी के गठन की आधिकारिक घोषणा अरविंद केजरीवाल एवं लोकपाल आंदोलन के बहुत से सहयोगियों द्वारा 26 नवम्बर 2012, भारतीय संविधान अधिनियम की 63 वीं वर्षगांठ के अवसर पर दिल्ली स्थित स्थानीय जंतर मंतर पर की गई. 2013 के दिल्ली विधान सभा चुनावों में अरविंद केजरीवाल ने नई दिल्ली सीट से चुनाव लड़ा जहां उनकी सीधी टक्कर लगातार 15 साल से दिल्ली की मुख्यमंत्री रही श्रीमती शीला दीक्षित से थी. उन्होंने नई दिल्ली विधानसभा सीट से तीन बार की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को 25864 मतों से हराया.

अरविंद केजरीवाल को कई पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया 

पांच प्रमुख नेताओं में शुमार देश की कमान को अपनों में हाथों में थामे कभी सत्ता में तो कभी विपक्ष के रूप में ये नेता बदस्तूर सियासत में अपना दखल रखते आये है. देश के पांच प्रमुख नेताओं की निजी जिंदगी से लेकर भारतीय राजनीती के गलियारों में उनके ऊंचे कद तक का ये सफर समय के साथ साथ कई उतार-चढ़ाव से भरा है. दूर से शानो शौकत से भरी दिखने वाली इन पांच प्रमुख नेताओं की जिंदगी इतनी भी आसान और सुगम नहीं है जितनी की दिखाई देती है. हमारी इस खास रिपोर्ट में कोशिश रही है कि देश के पांच प्रमुख नेताओं के जीवन के कुछ अनछुए पहलु भी आप तक पहुचाये जाये.

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