देश की न्याय व्यवस्था पर सवाल, 25 हाईकोर्ट में जजों के 414 पद रिक्त
देश की न्याय व्यवस्था पर सवाल, 25 हाईकोर्ट में जजों के 414 पद रिक्त
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नई दिल्लीः भारत में अदालतों की लचर व्यवस्था पर काफी समय से सवाल उठते रहे हैं। अदालतों की हालात ऐसी हो गयी है कि आम आदमी वहां जाने से पहले दस बार सोचता है। क्योंकि अदालतों की लंबी,महंगी और थकाऊ प्रक्रिया को वह सहन नहीं कर पाते । सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के अदालत मुकदमों के बोझ तले दबे हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 25 हाईकोर्ट में जजों के 414 पद रिक्त पड़े हैं। कानून मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, देश के उत्त न्यायलयों में 1079 जजों के पद स्वीकृत हैं। एक सितंबर को इनमें 414 पद रिक्त हैं।

अगस्त में रिक्त पदों की संख्या 409 और जुलाई में 403 थी। इस साल जून में 399 तो मई में 396 पद जजों के खाली थी। अप्रैल में यह संख्या 399 तो मार्च में 394 थी। फरवरी में 400 और जनवरी में 392 पद रिक्त थे। 25 हाईकोर्ट में 43 लाख से अधिक मामले लंबित हैं। तीन सदस्यीय सर्वोच्च न्यायालय कॉलेजियम उच्च न्यायालय जजों के लिए उम्मीदवारों के नाम की सिफारिश करती है। सर्वोच्च न्यायालय में नियुक्ति के लिए शीर्ष कोर्ट के पांच न्यायाधीशों की पीठ नामों की सिफारिश करती है।

उच्च न्यायालय अपने यहां के लिए उम्मीदवारों के नामों को छांटती है और इन्हें कानून मंत्रालय को भेजती है। इन उम्मीदवारों की पृष्ठभूमि की जांच रिपोर्ट आईबी से मिलने बाद मंत्रालय इसे अंतिम निर्णय के लिए शीर्ष कोर्ट कॉलेजियम को भेजता है। बता दें कि अदालतों के हालत को लेकर सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व चीफ जस्टिस प्रधानमंत्री के सामने भावूक हो गए थे। 

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