बंगाल: हर दिन दम तोड़ रहे मासूम, अब तक 128 बच्चों की गई जान, ममता सरकार को नहीं मिल रहा समाधान !
बंगाल: हर दिन दम तोड़ रहे मासूम, अब तक 128 बच्चों की गई जान, ममता सरकार को नहीं मिल रहा समाधान !
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कोलकाता: पश्चिम बंगाल में बुखार, सर्दी, खांसी से लगातार हो रही बच्चों की मौतों से हाहकार मचा हुआ है. गुरुवार (9 मार्च) की रात से शुक्रवार सुबह के बीच बीसी रॉय अस्पताल में 3 और बच्चों की जान चली गई. सर्दी और खांसी से बच्चों से मौत को लेकर पूरे बंगाल में दहशत फैल गई है. बच्चों की मौत को एडिनोवायरस के संक्रमण से जोड़कर देखा जा रहा है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने खुद स्वीकार किया था कि सूबे में एडिनोवायरस का संक्रमण है और इस संबंध में राज्य सरकार द्वारा एडवाइजरी भी जारी की गई थी. वहीं, विपक्ष ने इस मामले पर चर्चा की मांग करते हुए विधानसभा से वॉकआउट कर दिया था. गैर सरकारी सूत्रों के मुताबिक, जनवरी से अभी तक बंगाल में 128 बच्चों की मौत हो चुकी है.

रिपोर्ट से मुताबिक, बीते 24 घंटों में फिर 3 बच्चों की जान गई है. एक मृत बच्चे का नाम शांतनु कीर्तन्य है, जिसकी आयु 1 साल 11 महीने है. उसे होली वाले दिन अस्पताल में एडमिट कराया गया था. इसी प्रकार से बनगांव निवासी अयान मंडल की आयु डेढ़ साल है. अयान की शुक्रवार को मौत हो गई. वहीं, ठाकुरनगर निवासी 2 वर्षीय बच्चे ने शुक्रवार तड़के दम तोड़ दिया था. वहीं, बच्चों की मौतों को देखते हुए राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की प्रमुख सुदेशना रॉय और सदस्य अनन्या चटर्जी ने बुधवार को बीसी रॉय चिल्ड्रन हॉस्पिटल का दौरा किया था. उन्होंने दावा किया था कि बच्चों को उचित सेवा प्रदान की जा रही है. अस्पताल में कई डॉक्टर भी हैं. एक बिस्तर पर 2 बच्चे होने जैसी कोई बात नहीं है. उन्होंने बदसलूकी के आरोप को भी गलत बताया था. राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के सदस्यों ने गुरुवार सुबह अस्पताल का मुआयना किया था. सूबे में बुधवार को 3 बच्चों की भी जान गई थी. गुरुवार सुबह तक बीसी रॉय चिल्ड्रन अस्पताल में 2 और कलकत्ता मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एक बच्चे ने दम तोड़ दिया था.

हालांकि, एक स्वास्थ्य अधिकारी का कहना है कि बाल मृत्यु दर काफी अधिक नहीं कही जा सकती है. उन्होंने कहा कि, 'हम बच्चों की मौतों को रोक नहीं पा रहे हैं. प्रतिदिन तीन की बजाय औसतन 4 जानें जा रही हैं. ऐसा नहीं है कि मौतें काफी बढ़ गई हैं, किन्तु उन्होंने यह भी माना कि, 'रेफर अब पहले जैसे नहीं रहे. हमने जिले में भी कई बेड बनाए हैं. मॉनिटर हैं, वेंटिलेटर देने का प्रबंध किया गया है. हमने कोरोना से निबट लिया है और इस पर नियंत्रण करने में कामयाब रहेंगे.' बता दें कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जिला के अस्पतालों को कड़े निर्देश दिया है कि वे बहुत आवश्यक नहीं होने पर रेफर नहीं करें और जिला अस्पतालों में भी बच्चों की चिकित्सा की समुचित व्यवस्था की गई है. राज्य सरकार ने भी निर्देश जारी किया है और बच्चों को लेकर विशेष सतर्कता बरतने की सलाह दी है.

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