आज ही के दिन साईं बाबा ने त्याग दी थी अपनी देह, जानिए उनके 11 वचन
आज ही के दिन साईं बाबा ने त्याग दी थी अपनी देह, जानिए उनके 11 वचन
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आप सभी को बता दें कि साईं बाबा जीवनभर फकीर की तरह रहे और आज ही के दिन उन्होंने अपना देह त्याग दिया था. ऐसे में साईं बाबा का श्रृद्धा और सबूरी मूल मंत्र था और हिंदू और मुस्लिम दोनों ही संप्रदाय के लोग साईं बाबा को अपना आराध्य मानते हैं. कहते हैं साईं बाबा का जन्म 28 सितंबर को हुआ था और उन्होंने पूरा जीवन परोपकार में ही लगा दिया था. इसी के साथ कहते हैं जो भी उनके पास अपनी समस्या लेकर जाता था उसकी समस्याओं का समाधान हो जाता. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं साईं के ये 11 वचन जो आपको अध्यात्म का अहसास करवाएंगे और आप इन्हे अपने जीवन में अपना लेंगे तो आपका बेड़ा पार हो जाएगा.

साईं बाबा के 11 वचन 

01. जो शिरडी में आएगा, आपद दूर भगाएगा.

अर्थ- साईं बाबा का अधिकांश जीवन शिरडी में बीता, इसलिए कहते हैं कि शिरडी जाने से ही समस्याएं खत्म हो जाती हैं. जो भक्त शिरडी नहीं जा सकते, वे अपने निकट किसी साईं मंदिर भी जा सकते हैं.

02. चढ़े समाधि की सीढ़ी पर, पैर तले दुख की पीढ़ी पर.

अर्थ- साईं बाबा की समाधि की सीढ़ी पर पैर रखते ही भक्तों का मन भक्ति में डूब जाता है और वे सांसारिक दुखों से मुक्ति पा लेते हैं.

03. त्याग शरीर चला जाऊंगा, भक्त हेतु दौड़ा आऊंगा.

अर्थ- इस वचन में साईं बाबा ने कहा है कि मेरा शरीर नष्ट हो जाएगा, लेकिन जब भी मेरा भक्त मुझे पुकारेगा, मैं दौड़ के आऊंगा और उसकी सहायता करूंगा.

04. मन में रखना दृढ़ विश्वास, करे समाधि पूरी आस.

अर्थ- इस वचन में साईं कहते हैं कि जिसे भी मुझ पर विश्वास है, वह विपरीत परिस्थितियों में भी मेरी समाधि पर आकर शांति का अनुभव करेगा.

05. मुझे सदा जीवित ही जानो, अनुभव करो सत्य पहचानो.

अर्थ- साईं बाब कहते हैं मैं अपने भक्तों के विश्वास में जीवित हूं. यह बात भक्ति और प्रेम से कोई भी भक्त अनुभव कर सकता है.

06. मेरी शरण आ खाली जाए, हो तो कोई मुझे बताए.

अर्थ- साईं बाबा कहते हैं जो भी मेरी शरण में आता है, मैं उसकी हर इच्छा पूरी करता हूं.

07. जैसा भाव रहा जिस जन का, वैसा रूप हुआ मेरे मन का.

अर्थ- जो व्यक्ति मुझे जिस रूप में पूजता है, मैं वैसे ही रूप में उसकी मदद करता हूं.

08.भार तुम्हारा मुझ पर होगा, वचन न मेरा झूठा होगा.

अर्थ- जो भक्त मुझ पर आस्था रखेंगे, उनका हर दायित्व मैं पूरा करुंगा.

09. आ सहायता लो भरपूर, जो मांगा वो नहीं है दूर.

अर्थ- जो भक्त श्रद्धा व विश्वास से मुझे पुकारेगा, उसकी सहायता मैं जरूर करूंगा.

10. मुझमें लीन वचन मन काया, उसका ऋण न कभी चुकाया.

अर्थ- जो भक्त मन, वचन और कर्म से मेरा ही ध्यान करता है, मैं उसका हमेशा ऋणी रहता हूं.

11. धन्य धन्य व भक्त अनन्य, मेरी शरण तज जिसे न अन्य.

अर्थ- साईं बाबा कहते हैं कि जो भक्त अनन्य भाव से मेरी भक्ति में लीन हैं वे ही भक्त वास्तव में भक्त हैं.

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