बड़ी असरकारी है आयुर्वेद की खोज त्रिफला
बड़ी असरकारी है आयुर्वेद की खोज त्रिफला
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आयुर्वेद में ऐसी लाखों जड़ी बूटियां है जिनके प्रयोग के द्वारा हम हमारे शरीर को स्वस्थ रख सकते हैं. ऋषि मुनियों ने काफी शोध और प्रयोग करने के बाद इन्हें औषधि के रूप में अपनाया था. आज ऐसी ही एक औषधि और उसके फायदों के बारे में जानेंगे. त्रिफला, जैसा की नाम से ही पता चलता है कि यह तीन चीजों से बनता है. त्रिफला बनाने के लिए तीन मुख्य घटक हरड, बहेड़ा व आंवला है. त्रिफला चूर्ण जिसे आयुर्वेद रसायन भी मानता है से अपने कमजोर शरीर का कायाकल्प किया जा सकता है. ब्लड प्रेशर, डायबिटीज जैसी बीमारियां हो तो आपको त्रिफला लेने से पहले चिकित्सक की सलाह जरूर लेनी चाहिए. प्रेगनेंसी के दौरान भी इसके इस्तेमाल की मनाही होती है. हरड से याददाश्त तेज होती है और दिल को मजबूती मिलती है.

पीलिया,पेशाब संबंधी बीमारियां, दस्त, उलटी, कब्ज, सिर और पेट के रोग, खांसी और शरीर के दर्द में हरड़ काफी फायदेमंद होती है. आंवले में विटामिन सी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. आंवला चाहे सुख हो या कच्चा, दोनों ही तरीकों में इसके बाहर से फायदे हैं. अम्लता (एसिड) का गुण होने के कारण इसे आँवला कहा गया है. बहेडा वात और कफ को शांत करता है. यह रक्त, रस, मांस ,केश, नेत्र-ज्योति और धातु वर्धक है.

अब ये तीनो चीजें एक साथ मिल जाए तो सोचिये इनके सेवन से हमारे शरीर को कितना फायदा होगा. एक चम्मच त्रिफला चूर्ण रात को एक कटोरी पानी में भिगोकर रखें. सुबह कपड़े से छानकर उस पानी से आंखें धो लें. ऐसा करने से आंखें साफ़ होती है और नजर की तकलीफ भी कम हो जाती है. त्रिफला रसायन वात, पित्त और कफ तीनो में असरकारी है. इसके नियमति प्रयोग से हम बुढापे को टाल सकते हैं. रतौंधी, मोतियाबिंद, काँचबिंदु आदि नेत्ररोगों से रक्षा होती है और बाल काले, घने व मजबूत हो जाते हैं. इस चूर्ण के उपयोग से शरीर में जाने वाले फैट का भी उचित प्रकार से उपयोग होता है और अनावश्यक फैट इकठ्ठा नही होता.

 

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