अपनी धरती पर हर बार आतंकी हमला होने के बाद भारत कहता रहा कि यह हमला पाकिस्तान समर्थित है और पाकिस्तान को उसके यहां से किए जाने वाले आतंकवाद को समाप्त कर भारत को आतंकी सौंप देना चाहिए मगर पाकिस्तान हर बार कहता रहा कि आतंकी गतिविधियों में उसका कोई हाथ नहीं है। मगर जब अमेरिका ने अंडरवल्र्ड डाॅन दाऊद इब्राहिम के पतों को सही पाया तो बात गंभीर हो गई।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की बात को बल मिला और भारत पाकिस्तान विरोधी अपने अभियान को कुछ बल मिलता हुआ महसूस करने लगा। मगर अभी भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर के ही साथ स्वयं के स्तर पर भारत को पाकिस्तान से संचालित होने वाले आतंकवाद को समाप्त करने और कश्मीर में पाकिस्तान द्वारा मचाए जा रहे छद्म युद्ध को समाप्त करने के लिए कई प्रयास करने होंगे। हालांकि बलूचिस्तान में उपजे विरोध के बाद यह साफ हो चुका है कि पाकिस्तान किस तरह से बलूचिस्तान के लोगों को दबा रहा है वहां किस तरह से हिंसा हो रही है।
इतना ही नहीं भारत ने पाक अधिकृत कश्मीर को भारत का बताकर पाकिस्तान के लिए मुश्किल कर दी। पाकिस्तान के सामने सबसे बड़ी परेशानी यही है कि वह बलूचिस्तान में स्थिति संभाले या फिर भारत के खिलाफ होने वाले आतंकवाद को समर्थन दे या फिर अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के समाधान के लिए तालिबानी और हक्कानी नेटवर्क जैसे आतंकियों के खिलाफ अभियान तेज करे।
आतंक के संजाल में पाकिस्तान उलझ गया है। अंतर्राष्ट्रीय मोर्चे पर भी उसे मिलने वाली सैन्य उपकरणों की सहायता में कमी कर दी गई है। भारत के प्रति पाकिस्तान का रूख तय कर सकता है कि पाकिस्तान आतंक समर्थित देश बनना चाहता है या फिर वह आतंकविरोधी देश बनकर विश्व समुदाय के साथ रहने में अपनी प्रगति और खुशहाली देखता है।