नई दिल्ली : आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरू पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। इस दिन सभी अपने गुरूओं का पादप्रक्षालन करते हैं। गुरू के तौर पर भगवान दत्तात्रेय, गुरू श्री सांईबाबा के पूजन का विधान है। सभी इस दिन इनका पूजन अर्चन करते हैं। महाभारत के रचयिता कृष्ण द्वैपायन व्यास का जनमदिवस भी इसी दिन मनाया जाता है।
माना जाता है कि इस दिन बड़े पैमाने पर श्रद्धालु गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करते हैं। माना जाता है कि बंगाली साधु सिर मुंडाकर गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करते हैं। ब्रज में मुड़िया पूजनों नाम से इसे जाना जाता है। आज सुबह से ही सभी अपने अपने गुरूओं का पूजन करने में लगे हैं। गुरूओं के सम्मान में लोग चंदन, अबीर, पंचामृत और जल से उनके चरण वंदन की तैयारी कर रहे हैं।
कई स्थानों पर कीर्तन, पूजन और भजन का आयोजन हो रहा है। भगवान श्री दत्तात्रेय के मंदिरों में उनका पारायण कीर्तन आदि जारी है। लोग दान धर्म आदि कार्य करने में लगे हैं। गुरू कीर्तन की गूंज हर कहीं सुनाई दे रही है। श्रद्धालु गुरू सेवा में लगे हैं और वे प्रसादी, पुष्प हार आदि से उनका स्वागत कर रहे हैं। गुरू अपने शिष्यों और श्रद्धालुओं को आशीर्वाद दे रहे हैं।
गुरु पूर्णिमा महोत्सव: शिर्डी साईं बाबा के दर्शन की रात भर होगी व्यवस्था