तरंग (wave): तरंगों को मुख्यतः दो भागों में बांटा जा सकता है:
(i) यांत्रिक तरंग (mechanical wave)
(ii) अयांत्रिक तरंग (non-mechanical wave)
(i) यांत्रिक तरंग: वे तरंगें जो किसी पदार्थिक माध्यम (ठोस, द्रव, अथवा गैस) में संचरित होती है, यांत्रिक तरंगें कहलाती है. यांत्रिक तरंगों को मुख्यतः दो भागों में बांटा गया है:
(a) अनुदैधर्य तरंग (longitudinal wave): जब तरंग गति की दिशा माध्यम के कणों के कंपन करने की दिशा के समांतर होती है, तो ऐसी तरंग को अनुदैधर्य तरंग कहते है. ध्वनि अनुदैधर्य तरंग का उदाहरण है.
(b) अनुप्रस्थ तरंग (transverse wave): जब तरंग गति की दिशा माध्यम के कणों के कंपन्न करने की दिशा के लंबवत होती है, तो इस प्रकार की तरंगों को अनुप्रस्थ तरंग कहते हैं.
(ii) अयांत्रिक तरंग या विद्युत चुंबकीय तरंग (electromagnetic waves): वैसे तरंगें जिसके संचरण के लिए किसी भी माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है, अथार्त तरंगे निर्वात में भी संचरित हो सकती हैं, जिन्हें विद्युत चुंबकीय या अयांत्रिक तरंग कहते हैं:
सभी विद्युत चुंबकीय तरंगें एक ही चाल से चलती हैं, जो प्रकाश की चाल के बराबर होती है.
सभी विद्युत चुंबकीय तरंगें फोटोन की बनी होती हैं.
विद्युत चुंबकीय तरंगों का तरंगदैधर्य परिसर 10^-14 मी. से लेकर 10^4मी. तक होता है.
विद्युत चुंबकीय तरंगों के गुण:
(a) यह उदासीन होती है.
(b) यह अनुप्रस्थ होती है.
(c) यह प्रकाश के वेग से गमन होती है.
(d) इसके पास ऊर्जा एवं संवेग होता है.
(e) इसकी अवधारणा मैक्सवेल के द्वारा प्रतिपादित की गई है.
प्रमुख विद्युत चुंबकीय तरंगें:-
विद्युत चुंबकीय तरंगें: गामा-किरणें
खोजकर्ता: बैकुरल
तरंग दैधर्य परिसर: 10^-14m से 10^-10m तक
आवृत्ति परिसर Hz: 10^20 से 10^18 तक
उपयोग: इसकी वेधन क्षमता अत्यधिक होती है, इसका उपयोग नाभिकीय अभिक्रिया तथा कृत्रिम रेडियो धर्मिता में की जाती है.
प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए उपयोगी :ध्वनि तरंगें और उसकी आवृत्ति परिसर से जुड़े तथ्य
प्रतियोगी परीक्षा विशेष -सामान्य ज्ञान