विचार कर आगे बढ़ें
विचार कर आगे बढ़ें
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एक दिन तुलसीदास जी अपने गांव की ओर जा रहे थे, कि किसी बच्चे ने आवाज देकर कहा कि महात्मा उधर से मत जाओ। उस तरफ एक बैल बहुत गुस्से मे है और आपने लाल वस्त्र पहन रखा है। बालक की बात को अनसुनी करते हुए तुलसीदास जी ने विचार किया कि बालक उन्हें उपदेश दे रहा है। इसके अलावा उन्हें अपनी ही लिखी पक्ति याद आई कि सभी में राम बसे हैं।

उन्होंने सोचा कि उस बैल को प्रणाम करुंगा और निकल जाउंगा। यह सोचते-सोचते वे आगे बढ़ गए और बैल के नजदीक पहुंच गए। इसी बीच बैल ने उन्हें मारा और वे गिर पड़े। किसी तरह बचते-बचते वह वापस आए। इसके बाद वे वहां पहुंचे जहां श्री रामचरितमानस लिख रहे थे। सीधा चौपाई पकड़ी और उसे फाड़ने जा रहे थे कि श्री हनुमान जी प्रकट हो गए। उन्होंने कहा, तुलसीदास जी ये क्या कर रहे हो तुलसीदास जी ने क्रोधपूर्वक कहा, यह चौपाई गलत है और उन्होंने सारा वृत्तान्त कह सुनाया।

हनुमान जी ने मुस्करा कर कहा- महात्मा चौपाई तो एकदम सही है आपने बैल में तो भगवान को देखा पर बच्चे में भगवान को नहीं देख पाए। आखिर उसमे भी तो भगवान राम थे। वे तो आपको रोक रहे थे पर आप ही नहीं माने। ऐसे ही छोटी-छोटी घटनाएं हमें बड़ी घटनाओं के होने से पूर्व संकेत देती हैं लेकिन कई बार हम उन्हें दरकिनार कर देते हैं। हम अगर भगवान के उन इशारों को समझें और उनपर विचार कर आगे बढ़ें तो बड़ी घटनाओं से बचा जा सकता है।

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