जख्मों को बहार मिल जाये...
जख्मों को बहार मिल जाये...
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दिल ए बेताब को अब तो करार मिल जाये,
तलाश में है कैद ए जाँ, के दरार मिल जाये,

रोक लेती है हमें ख्वाहिशें भी कभी कभी,
ज़रूरी नही के हर जगह, दीवार मिल जाये,

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