महावीर जयंती पर आप भी सीखें 'महावीर' के सफलता सूत्र
महावीर जयंती पर आप भी सीखें 'महावीर' के सफलता सूत्र
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महावीर जैन को जैन धर्म का अंतिम और सबसे प्रभावी तीर्थंकर माना जाता है. उनका जन्म 599 ईसा पूर्व या 615 ईसा पूर्व माना जाता है (यह धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है). वे जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर थे.

महावीर जयंती हिंदू कैलेंडर के चैत्र माह शुक्ल पक्ष के 13वें दिन मनाई जाती है. महावीर के माता-पिता ने उनका नाम 'वर्धमान' रखा था जिसका मतलब होता है सुख-समृद्धि . जैन धर्म श्वेतांबर और दिगंबर समुदाय में बंटा है और बाद में यह डेरावासिस और स्थानकवासिस में बंट गया.

- महावीर द्वारा दिए गए ज्ञान की वैसे तो कोई सीमा नहीं है, मगर खुद को मुक्त करने के लिए महावीर ने सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान और सम्यक चरित्र की बात कही है. 

- वे कहते हैं कि दर्शन के बिना ज्ञान नहीं होगा और ज्ञान के बिना चरित्र नहीं होगा. उनका कहना था कि मोक्ष मार्ग की साधना में यदि सम्यक दर्शन होगा तो चरित्र श्रृंगार बन जाएगा.

- उनका कहना था कि मनुष्य वर्षों से धर्म साधना कर रहा है, लेकिन उनके जीवन में अपेक्षित बदलाव नहीं आ रहे हैं. कषाय व क्रूरता कम होने के बजाय बढ़ ही रहे हैं. 

- महावीर प्रत्येक कार्य को विवेकपूर्वक करने की सलाह देते हैं.

- महावीर स्वाध्याय को जीवन में सफलता के लिए जरूरी बताते हैं. उनके द्वारा बताए गए आगम वाणी में मोक्ष प्राप्ति के जिन 7 मार्गों का वर्णन है, उनमें स्वाध्याय प्रमुख मार्ग है. यानी अपनी राह खुद तलाशना. 

- वैसे जैन शब्द की उत्पत्ति 'जिना' शब्द से मानी जाती है जिसका अर्थ होता है "जीतने वाला".

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