कई बार ऐसा होता है की मृत्यु के समय व्यक्ति की कुछ इच्छाएं पूरी नहीं हो पाती है या ऐसा कोई कार्य शेष रह जाता है जो उसके परिजन को पूर्ण करना रहता है ऐसे में व्यक्ति की आत्मा को शान्ति नहीं मिलती और वह अपनी अधूरी इच्छा के कारण भटकती रहती है जिसके कारण उसके परिवार को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है. इसे ही पितृ दोष कहा जाता है.
या जब व्यक्ति की कुंडली में उसके प्रथम, द्वितीय, चतुर्थ, पंचम, सप्तम, नवम, दशम भावों में से किसी एक भाव में भी सूर्य या राहू व सूर्य व शनि जैसे ग्रहों का योग बनता है तो इसे पितृ दोष कहा जाता है. जो व्यक्ति के जीवन में कई प्रकार की परेशानियाँ उत्पन्न करता है इससे बचने के लिए शास्त्रों में कुछ उपाय दिए गए है आइये जानते है.
1. यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में इस प्रकार का कोई पितृ दोष पाया जाता है तो उसे अपने घर की दक्षिण दिशा में अपने पूर्वजों की तस्वीर लगाकर उनकी प्रतिदिन पूजा करने से पितृ की आत्मा को शान्ति मिलती है और पितृ दोष शांत होता है.
2. यदि व्यक्ति अपने पूर्वजों की मृत्यु तिथि पर दान कर और ब्राम्हणों को भोजन करवाकर अपने पूर्वजों की आत्मा की शान्ति के लिए प्रार्थना करता है व उनके पसंद की कोई भी एक चीज बनाकर गरीबों को बांटता है तो इससे भी पितृ दोष समाप्त होता है.
3. यदि व्यक्ति के द्वारा माह की प्रत्येक अमावस्या के दिन अपने पितरों को याद करके किसी पीपल के वृक्ष पर जल, पुष्प, कच्ची लस्सी, गंगाजल, काले तिल, चीनी, चावल आदि चढ़ाते हुए “ॐ पितृभ्यः नमः” के मंत्र का उच्चारण करता है तो इससे उसे पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
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