बता दे की 2009-2010 को संयुक्त राष्ट्र साक्षरता दशक घोषित किया गया व वर्ष 1966 में पहला विश्व साक्षरता दिवस मनाया गया था. तथा भारत में हर वर्ष आठ सितंबर को विश्व साक्षरता दिवस के रूप में मनाया जाता है भारत में 17 नवंबर 1965 को यह निर्णय लिया गया कि पुरे विश्व में शिक्षा के महत्व तथा पुरे विश्व में निरक्षरता को समाप्त करने के लिए हर वर्ष 8 सितंबर को विश्व साक्षरता दिवस के रूप मे मनाया जाएगा. व जब से ही 8 सितंबर को विश्व साक्षरता दिवस के रूप में मनाया जाने लगा, आज एक व्यक्ति बिना साक्षर हुए भी शिक्षित हो सकता है, विश्व में साक्षरता का आधार शिक्षा अर्जित करना होता है और शिक्षा का आधार होता है ज्ञान. आज हम अच्छी तरह से पढ़ लिखकर साक्षर हो जाते है परन्तु उचित ज्ञान को हासिल नही कर पाते है.
तथा यह ज्ञान वास्तविक शिक्षा की शक्ति पर निर्भर करती है. भारतीय गाँवों की करीब 70 फीसदी आबादी गांवों में रहती है व गांव के लोग अशिक्षा,गरीबी तथा अन्धविश्वास के कारण अन्य तरह के शोषण का शिकार हो जाते है. तथा हमे उचित कदम उठाकर साक्षरता आंदोलन के द्वारा जाति,धर्म,स्थानीय और प्रांतीय भेदभाव की सीमाओं को तोड़ना है व साक्षरता के हथियार के द्वारा लोगों की मुरझाई हुई जागरूकता की पहल को जगाना है.