'घर से जब चाहें करें काम...', आखिर क्यों PM मोदी ने दिया ये बयान?
'घर से जब चाहें करें काम...', आखिर क्यों PM मोदी ने दिया ये बयान?
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नई दिल्ली: कोरोना महामारी में नौकरियों एवं कंपनियों को बचाने में वर्क फ्रॉम होम (Work From Home) ने बड़ा किरदार निभाया था। लॉकडाउन (Lockdown) जैसी स्थिति में जब लोग घर से नहीं निकल सकते थे तब वर्क फ्रॉम होम के कारण वो काम करते रहे जिससे उनकी नौकरियां बची रहीं तथा कंपनियों के कामकाज पर कम प्रभाव हुआ। इस सुविधा का सबसे अधिक लाभ IT सेक्टर के लाखों कर्मचारियों को प्राप्त हुआ। IT कंपनियों ने इसके सहारे ग्रोथ को प्रभावित नहीं होने दिया। किन्तु अब यही IT कंपनियां वर्क फ्रॉम होम को समाप्त कर रही हैं। TCS ने तो अपने कर्मचारियों को वापस कार्यालय आने का अल्टीमेटम दे दिया है।

वही ऐपल भी वर्क फ्रॉम होम को समाप्त कर रही है। किन्तु इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के एक सुझाव से इन कंपनियों को अपनी योजना बदलने पर विचार करना पड़ सकता है। दरअसल, मोदी की इस सलाह के पश्चात् देश में अब नौकरी करने का तरीका एकदम बदलने वाला है। बीते बहुत वक़्त से नए लेबर कोड पर काम चल रहा है। इसे लागू करने की बात भी कही जा रही है। हालांकि कई डेडलाइन गुजरने के बाद भी ये लागू नहीं हुआ है। ऐसे में प्रधानमंत्री का ये सुझाव लेबर कोड में परिवर्तन करने का संकेत भी दे रहा है। इसका कारण है कि लेबर कोड के अनुसार, कर्मचारियों को सप्ताह में 3 वीकली ऑफ देने का प्रावधान है। किन्तु शेष के 4 दिन उन्हें 12-12 घंटे काम करना होगा। 12 घंटे काम करना तथा फिर घर से दफ्तर तक आने जाने का मतलब हुआ कि लोगों को दिनभर 14-15 घंटे सफर एवं दफ्तर में ही गुजारने होंगे। इस मुश्किल से बचने के लिए सरकार वर्क फ्रॉम होम इकोसिस्टम को बढ़ावा देने का काम करेगी।

प्रधानमंत्री मोदी ने इसकी वकालत करते हुए कहा कि वर्क फ्रॉम होम इकोसिस्टम, फ्लेक्सिबल वर्क प्लेसेज एवं फ्लेक्सिबल वर्किंग घंटे भविष्य की आवश्यकताएं हैं। अपने तर्क का समर्थन करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा है कि पहली तीन औद्योगिक क्रांतियों का लाभ उठाने में भारत पीछे छूट गया है। इसलिए मौजूदा चौथी औद्योगिक क्रांति का लाभ लेने के लिए हमें तुरंत फैसले लेने तथा उन्हें तेजी से लागू करने पर काम करना होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि बदलते हुए वक़्त के साथ जिस प्रकार से नौकरियों का नेचर बदल रहा है उसको हम सब देख रहे हैं। यानी तेजी से बदलती दुनिया में इसका लाभ लेने के लिए हमें भी उसी गति से तैयार होना होगा। इससे समझा जा सकता है कि यदि ये सिस्टम लागू होता है तो फिर कुछ घंटे कार्यालय एवं कुछ घंटे घर से काम करके लोग रोज के 12 घंटे पूरे कर सकते हैं। इसी प्रकार घर से काम करने वाले 6-6 घंटे के 2 ब्रैकेट या 4-4-4 घंटे के 3 ब्रैकेट में काम कर सकते हैं। इससे उनके 12 घंटे भी पूरे हो सकते हैं तथा एक साथ काम करने का तनाव और थकान भी उन्हें परेशान नहीं करेगा। तत्पश्चात, वो 3 दिन का साप्ताहिक अवकाश भी ले सकते हैं। 3 दिन की छुट्टियों से ना सिर्फ कर्मचारी को फिर से अगले सप्ताह के लिए तैयार होने का अवसर प्राप्त होगा, बल्कि इससे टूरिज्म को भी लाभ प्रॉपर हो सकता है।

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