Jul 12 2016 03:27 AM
हम सब जानते है देवतओं और दानवो ने सागर मंथन किया जिसमे अच्छी और बुरी दोनों चीजे निकली। उसी मंथन में हलाहल नाम का विष भी निकला और उस से समस्त विश्व विनाश की और बढ़ने लगा। किसी में इतनी शक्ति नहीं थी की उस विष के जानलेवा प्रभाव को रोक सके। विश्व को विष से बचाने के लिए।
शिव जी ने विष पी लिया और अपने कंठ में रख लिया। इस से उन का कंठ नीला पड़ने लग गया उससे ही महादेव का नाम नीलकंठ पड़ा। परंतु विष के प्रभाव से उनका समस्त शरीर अत्यधिक गरम हो गया। उस की वजह से आस पास का वातावरण भी जलने लगा।
सभी देवी देवताओं ने बेल पत्र शिवजी को खिलाना शुरू कर ,दिया। बेलपत्र विष के प्रभाव को कम करता है साथ में उन पर जल डालना भी शुरू कर दिया ताकि गर्मी का प्रभाव कम होनेलगा उस के प्रभाव से शिव जी के शरीर की विष से उत्पन्न हुई गरमी शांत होने लगी। तभी से यहां प्रथा चलती आ रही है।
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