PFI नेताओं की संपत्ति जब्त करने में इतनी देर क्यों ? केरल सरकार के सुस्त रवैये पर हाई कोर्ट ने जताई नाराज़गी
PFI नेताओं की संपत्ति जब्त करने में इतनी देर क्यों ? केरल सरकार के सुस्त रवैये पर हाई कोर्ट ने जताई नाराज़गी
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कोच्ची: न्यायमूर्ति जयशंकर नांबियार और न्यायमूर्ति मोहम्मद नियाज़ की अगुवाई में केरल उच्च न्यायालय ने प्रतिबंधित कट्टरपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) कार्यकर्ताओं की संपत्ति की जब्ती को चुनौती देने वाली अपील को खारिज कर दिया है। यह जब्ती 23 सितंबर, 2022 को PFI फ्लैश स्ट्राइक के दौरान हुए नुकसान के मुआवजे के रूप में की गई थी, जिसके परिणामस्वरूप सार्वजनिक संपत्ति का विनाश हुआ था।

हाई कोर्ट ने कहा कि संपत्ति की जब्ती राजस्व वसूली प्रक्रियाओं के अनुपालन में है। अदालत ने यह भी कहा कि नुकसान का आकलन करने के लिए दावा न्यायाधिकरण की प्रक्रियाएं प्रगति पर हैं। जो अभियुक्त जेल में थे, उन्हें जेल अधिकारियों के माध्यम से बिना किसी असफलता के वसूली नोटिस दिया गया। नुकसान का जिलेवार वर्गीकरण प्रक्रियाधीन है। बता दें कि, PFI की हड़ताल हिंसा में कुल 5.2 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था और अभी आंकलन जारी है। इसे PFI के राज्य सचिव ए अब्दुल सथार और उनके नेतृत्व वाले संगठन से वसूला जाना है। अदालत ने 19 दिसंबर, 2022 को अपने आदेश का पालन करने और आरोपियों से संपत्ति जब्त करने की कार्यवाही शुरू करने में राज्य सरकार की विफलता पर नाराजगी व्यक्त की।

हाई कोर्ट का ताज़ा आदेश न केवल PFI बल्कि CPM और उसके सीएम पिनाराई विजयन के लिए भी एक बड़ा झटका है। कानूनी कार्यवाही सार्वजनिक गड़बड़ी के परिणामों को संबोधित करने और ऐसी घटनाओं के दौरान होने वाले नुकसान के लिए जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए न्यायपालिका की प्रतिबद्धता को उजागर करती है।

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