मुगलों को धूल चटाने वाले 'लाचित' की वीरता हमारे इतिहास में क्यों नहीं ? जयंती पर बोले पीएम मोदी
मुगलों को धूल चटाने वाले 'लाचित' की वीरता हमारे इतिहास में क्यों नहीं ? जयंती पर बोले पीएम मोदी
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नई दिल्ली: पीएम नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार (25 नवंबर) को असम के वीर लाचित बरपुखान की 400वीं जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल होकर जनता को संबोधित किया। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि देश को भारत के सच्चे इतिहास की जानकारी नहीं दी गई, उसे छुपा दिया गया। पीएम मोदी ने कहा कि भारत का इतिहास उत्पीड़कों के विरुद्ध वीरता प्रदर्शित करने, जीतने, बलिदान देने और महान परंपरा के संबंध में है।

उल्लेखनीय है कि लाचित बरपुखान असम के अहोम साम्राज्य के वीर सेनापति थे। सन 1671 ईस्वी में असम पर जब मुगलों ने आक्रमण किया, तो अहोम साम्राज्य के महाराजा चक्रध्वज सिंह ने लाचित बरपुखान की अगुवाई में सेना को लड़ने के लिए भेजा। लाचित ने मुगलों को धूल चटाते हुए सरायघाट की जंग में उन्हें बुरी तरह पराजित किया। इसके बाद मुगलों ने कभी भी असम की तरफ मुड़कर नहीं देखा। लाचित बरपुखान की जयंती पर सम्बोधन देते हुए पीएम मोदी ने कहा कि, 'सदियों से हमें यह बताने की कोशिश की गई कि हम ऐसे लोग हैं, जो हमेशा लूटे जाते हैं, पीटे जाते हैं और हारते रहे हैं। भारत का इतिहास महज उपनिवेशवाद का नहीं, बल्कि योद्धाओं का इतिहास है। भारत का इतिहास उत्पीड़कों के खिलाफ वीरता प्रदर्शित करने, जीत, बलिदान और महान परंपरा के संबंध में है।'

पीएम मोदी ने कहा कि, 'दुर्भाग्य से स्वतंत्रता के बाद भी हमें वही इतिहास पढ़ाया गया, जो औपनिवेशिक काल में एक साजिश के तहत लिखा गया था। आजादी के बाद हमें उपनिवेश बनाने वालों के एजेंडे को बदलने की आवश्यकता थी, मगर ऐसा नहीं किया गया।' पीएम मोदी ने कहा कि देश के कोने-कोने में भारत के वीरों ने उत्पीड़कों का सामना किया और अपने प्राणों का बलिदान दे दिया। यह इतिहास जानबूझकर छुपाया गया था। पीएम मोदी ने कहा कि, 'क्या लाचित बरपुखान की वीरता अहम नहीं है? क्या मुगलों के खिलाफ असम में हजारों लोगों के बलिदान का कोई महत्व नहीं है?'

पीएम मोदी ने कहा कि भारत में जब भी कोई मुश्किल वक़्त आया, कोई चुनौती खड़ी हुई, तो उसका मुकाबला करने के लिए कोई न कोई विभूति इस धरा पर जरूर अवतरित हुई। उन्होंने कहा कि भारत का इतिहास जय का है, वीरता का है, बलिदान का है, महान परंपरा का है। उनका जीवन परिवारवाद से ऊपर उठकर देश के संबंध में सोचने की प्रेरणा देता है।

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