आखिर क्यों मनाया जाता है गुड़ी पड़वा?
आखिर क्यों मनाया जाता है गुड़ी पड़वा?
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प्रत्येक वर्ष हिंदू नववर्ष यानी चैत्र महीने के पहले दिन गुड़ी पड़वा का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन को उदागि भी कहा जाता है। गुड़ी पड़वा के दिन लोग नए कपड़े पहनते हैं तथा घर की अच्छे से सजावट करते हैं। नववर्ष 2024 गुड़ी पड़वा 9 अप्रैल को मनाया जाएगा। इस दिन प्रभु श्री विष्णु के साथ ब्रह्मा जी की पूजा करते हैं। यह पर्व मराठी लोग बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं।

चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा 8 अप्रैल को रात 11 बजकर 50 मिनट पर आरम्भ होगी तथा 9 अप्रैल को रात 8 बजकर 30 मिनट खत्म होगी। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, गुड़ी पड़वा का त्योहार 9 अप्रैल दिन मंगलवार को मनाया जाएगा।  

गुड़ी पड़वा की पौराणिक कथा:-
गुड़ी पड़वा मनाने से जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार, त्रेता युग में दक्षिण भारत में राजा बालि का शासन हुआ करता था। प्रभु श्री राम जब माता सीता को रावण से मुक्त कराने के लिए लंका की तरफ जा रहे थे। तब दक्षिण में उनकी मुलाकात बालि के भाई सुग्रीव से हुई। सुग्रीव ने प्रभु श्री राम को बालि के कुशासन और आतंक के बारे में सारी बातें बताई। तब प्रभु श्री राम ने बालि का वध कर उसके आतंक से सुग्रीव को मुक्त कराया। कहा जाता है कि जिस दिन प्रभु श्री राम ने बालि का वध किया था, वह दिन चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा का दिन था। इसलिए प्रत्येक वर्ष इस दिन को दक्षिण में गुड़ी पड़वा के तौर पर मनाया जाता है तथा विजय पताका फहराई जाती है। आज भी गुड़ी पड़वा पर पताका लगाने की परंपरा कायम है।

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