गाय पवित्र नगरी से बाहर तो कत्लखानें क्यों नहीं?
गाय पवित्र नगरी से बाहर तो कत्लखानें क्यों नहीं?
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उज्जैन। महाकाल व मोक्षदायिनी मां क्षिप्रा की नगरी से कत्लखानें, मांस, मदिरा की दुकानें हटाने के लिए चलाये जा रहे स्वर्णिम भारत मंच के आंदोलन को राष्ट्रसंत कमलमुनि कमलेश ने समर्थन करते हुए चेतावनी दी है कि प्रशासन पवित्र नगरी में से कत्लखाने, मांस, मदिरा की दुकानें हटाये या आंदोलन को कुचलने के लिए हमें गिरफ्तार कर ले। राष्ट्रसंत कमलमुनि कमलेश 1100 किमी की पदयात्रा माँ क्षिप्रा की पवित्रता को पूरा करने के लिए उज्जैन आये।

पत्रकारों से चर्चा करते हुए उन्होंने कड़े शब्दों में कहा कि- मैं 1100 किमी की पदयात्रा करते हुए यहां पर प्रवचन देने नहीं आया हूं। हमें पवित्र नगरी के इस कलंक को धोना है। महाकाल की नगरी में आने वाले भक्तों को मांस का दर्शन करने पर प्रशासन मजबूर कर रहा है। पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए स्वर्णिम भारत मंच के संस्थापक गुरु राष्ट्रसंत कमलमुनि कमलेश जी महाराज ने कहा कि स्वर्णिम भारत मंंच द्वारा पवित्र नगरी के लिए तीन सालों से चलाया जा रहा है आंदोलन पर प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा है।

इसके पूर्व भी ब्रह्मलीन संत प्रतीतराम स्नेही जी ने वर्षों तक आंदोलन चलाया था पर प्रशासन ने कोई कार्यवाही नहीं की। महाकाल की नगरी में कत्लखानों का खून सड़क पर बहता है। मोक्षदायिनी माँ क्षिप्रा में वही खून बह रहा है। प्रशासन व मटन माफिया की मिली भगत से महाकाल की नगरी में अवैध कत्लखानों की भरमार है। पवित्र नगरी में प्रशासन ने तो गायों पर प्रतिबंध लगा दिया। गाय पालने वालों को जेल भेज दिया। लेकिन गाय काटने वाले कत्लखानें नहीं हटाये आखिर प्रशासन इसका जवाब मुझे दें। 

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