क्यों पसंद है गणेशजी को मोदक
क्यों पसंद है गणेशजी को मोदक
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मोदक यानी जो मोद (आनन्द) देता है, जिससे आनन्द प्राप्त हो, संतोष हो, इसका गहरा अर्थ यह है कि तन का आहार हो या मन के विचार वह सात्विक और शुद्ध होना जरुरी है.  तभी आप जीवन का वास्तविक आनंद पा सकते हैं मोदक ज्ञान का प्रतीक है.

इसे थोड़ा और धीरे-धीरे खाने पर उसका स्वाद और मिठास अधिक आनंद देती है. और अंत में मोदक खत्म होने पर आप तृप्त हो जाते हैं, उसी तरह ऊपरी और बाहरी ज्ञान व्यक्ति को आनंद नही देता परंतु ज्ञान की गहराई में सुख और सफलता की मिठास छुपी होती है.

इस प्रकार जो अपने कर्म के फलरूपी मोदक प्रभु के हाथ में रख देता है. उसे प्रभु आशीर्वाद देते हैंजिस प्रकार ये बाहर से कडा एवं भीतर से नरम एवं मिठास से भरा होता है. उसी प्रकार घर का मुखीया यदि अपने धर्म का पालन करता है . उपर से सख्ती से नियमों का पालन करवाएं एवं भीतर से नरम रहकर सभी का पालन पोषण करे तो उस घर में सुख व्याप्त होता है.

गणपित अथर्व शीर्ष के अनुसार जो हजार मोदको से गणेशजी को भाेग लगाता है. या उससे हवन करता है, वह जातक अपनी समस्त कामनाओं को पूर्ण करता है.

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