क्यों दिया था माता पार्वती ने कार्तिकेय को श्राप
क्यों दिया था माता पार्वती ने कार्तिकेय को श्राप
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एक बार भगवान शिव ने पार्वती के साथ चौसर खेलने की चाह प्रकट की. खेल में भगवान शंकर अपना सब कुछ हार गए. हारने के बाद भोलेनाथ अपनी लीला को रचते हुए पत्तों के वस्त्र पहनकर गंगा के तट पर चले गए.कार्तिकेय जी को जब सारी बात पता चली, तो वह माता पार्वती से समस्त वस्तुएं वापस लेने आए. इस बार खेल में पार्वती हार गईं तथा कार्तिकेय शंकर जी का सारा सामान लेकर वापस चले गए.

इधर पार्वती भी परेशान थीं कि सारा सामान भी गया तथा पति भी दूर हो गए. पार्वती जी ने अपनी व्यथा अपने प्रिय पुत्र गणेश को बताई तो मातृ भक्त गणेश जी स्वयं खेल खेलने शंकर भगवान के पास पहुंचे.गणेश जी जीत गए तथा लौटकर अपनी जीत का समाचार माता को सुनाया. इस पर पार्वती बोलीं कि उन्हें अपने पिता को साथ लेकर आना चाहिए था. गणेश फिर भोलेनाथ की खोज करने निकल गए.

भगवान शिव उन्हें हरिद्वार में मिले. उस समय भगवान शिव, भगवान विष्णु व कार्तिकेय के साथ भ्रमण कर रहे थे. पार्वती से नाराज शंकरजी ने लौटने से मना कर दिया.इधर भगवान विष्णु ने भगवान शिव की इच्छा से पासा का रूप धारण कर लिया. गणेश जी ने माता के उदास होने की बात शंकरजी को कह सुनाई. इस पर शंकरजी बोले कि हमने नया पासा बनवाया है, अगर तुम्हारी माता पुन: खेल खेलने को सहमत हों, तो मैं वापस चल सकता हूं.
 

आगे की कहानी अगले भाग में  -

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