Nov 08 2016 03:28 PM
पिछले भाग में हमने बताया था की कैसे विष्णु जी ने लक्ष्मी जी को घोड़ी बनने का श्राप दिया था आइये अब जानते है उससे आगे की कहानी -
तब विष्णु ने अपने शाप में सुधार करते हुए कहा- “शाप तो पूरी तरह वापस नहीं लिया जा सकता. लेकिन हां, तुम्हारे अश्व रूप में पुत्र प्रसव के बाद तुम्हे इस योनि से मुक्ति मिलेगी और तुम पुनः मेरे पास वापस लौटोगी.”तब भगवान शिव ने कहा- “देवी ! तुम चिंता न करो. इसके लिए मैं विष्णु को समझाऊंगा कि वे अश्व रूप धारणकर तुम्हारे साथ ही रहे और तुमसे अपने जैसा ही पुत्र उत्पन्न करे ताकि तुम उनके पास शीघ्र वापस जा सको.”
भगवान शिव वहां से चले गए. अश्व रूप धारी लक्ष्मी जी पुनः तपस्या में लग गई. काफी समय बीत गया. लेकिन भगवान विष्णु उनके समीप नहीं आए. तब उन्होंने भगवान शिव का पुनः स्मरण किया. भगवान शिव प्रकट हुए. उन्होंने लक्ष्मी जी संतुष्ट करते हुए कहा- “देवी ! धैर्य धारण करो. धैर्य का फल मीठा होता है. विष्णु अश्व रूप में तुम्हारे समीप अवश्य आएंगे.”
आगे की कहानी अगले भाग में
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