माँ कात्यायनी की आराधना जिसने भी किया वो धन्य हो गया
माँ कात्यायनी की आराधना जिसने भी किया वो धन्य हो गया
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आदिशक्ति माँ दुर्गा का छंटवा रूप है माँ कात्यायनी का माँ असुरो तथा दुष्टो का नाश करने वाली है. जब महिषासुर का अत्याचार बढ़ गया तो देवताओ के कार्य को सिद्ध करने के लिए देवी माँ ने महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर उनके घर में उनकी पुत्री के रूप में जनम लिया इसलिए उनके नाम कात्यायनी पड़ा भगवन कृष्ण को पाने के लिए रुक्मणी ने इन्ही की तपस्या की थी. इसलिए माँ कात्यायनी को मन की शक्ति कहा गया है.

माँ कात्यायनी की पूजन हेतु मन्त्र 

चंद्र हासोज्ज वलकरा शार्दू लवर वहना 

कात्यायनी शुभम दद्या देवी दानव घातिनी 

माँ का रंग स्वर्ण के सामान है इनके चार हाथ व् तीन नेत्र है इनकी सवारी शेर है.

सच्चे मन से माँ की पूजा करने पर माँ प्रसन्न होती है और मनचाहा वर देती है।

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