अयोध्या: अयोध्या में राम मंदिर मामले पर सर्वोच्च न्यायालय ने अपना फैसला सुना दिया है और राम मंदिर निर्माण के लिए केंद्र सरकार को 3 महीने में एक ट्रस्ट का गठन करने का आदेश भी सुना दिया, किन्तु ट्रस्ट बनने से पहले ट्रस्ट में अधिकार और वर्चस्व की होड़ शुरू हो गई है. ट्रस्ट बनने के बाद रामलला की पूजा पाठ और भोग राग कौन करेगा, इसको लेकर पुजारी बनने की नई बहस भी छिड़ गई है.
राम मंदिर के पुजारी बनाए जाने को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी को भी पत्र भेजा गया है. रामलला विराजमान पक्षकार और राम जन्मभूमि न्यास में सदस्य त्रिलोकी नाथ पांडे ने भी पुजारी बनने का दावा पेश दिया है. राम मंदिर में पक्षकार महंत धर्मदास के पीएम मोदी, सीएम योगी आदित्यनाथ और राम मंदिर के रिसीवर को भेजे गए पत्र से पुजारी बनने के होड़ और वर्चस्व की लड़ाई शुरु हुई. पत्र में उन्होंने 1949 में अपने गुरु बाबा अभिराम दास के राम मंदिर का पुजारी होने का उल्लेख करते हुए उनके खिलाफ पुजारी होते हुए दर्ज हुए केस और इसके आधार पर मंदिर और मस्जिद पक्षकारों द्वारा उनको पुजारी मानते हुए पार्टी बनाने का जिक्र किया है.
पत्र में यह भी कहा गया कि शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में उनके गुरु बाबा अभिराम दास को ही तत्कालीन पुजारी माना है. इसी आधार पर उन्होंने उसी परंपरा और कानून का हवाला देकर बनने वाले ट्रस्ट में खुद को ट्रस्टी और पुजारी बनाने की बात कही है.
भारतीय रेलवे का बड़ा तोहफा, अब जनरल डिब्बे में भी यात्रियों को मिलेगी कन्फर्म सीट
Karvy Stock Broking का लाइसेंस रद्द, अब नहीं कर पायेगी शेयर बाजार में ट्रेडिंग
खेल विश्वविद्यालय 2019 बिल पास, दिल्ली के युवाओं को मिला प्रतिभा निखारने का मौका