10 जनवरी से शुरू होगा शाकंभरी उत्सव, जानिए कौन हैं मां शाकंभरी
10 जनवरी से शुरू होगा शाकंभरी उत्सव, जानिए कौन हैं मां शाकंभरी
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पौष मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से शाकंभरी नवरात्रि शुरू होते हैं और यह पौष पूर्णिमा तक चलते हैं। ऐसे में इस साल शाकम्भरी देवी का पूजन पौष शुक्ल अष्टमी 10 जनवरी से शुरू हो रहा है, जो पौष पूर्णिमा 17 जनवरी को समाप्त होगा। आप सभी को बता दें कि इसे शाकम्भरी नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है। ऐसे में पौष माह की पूर्णिमा तिथि शाकंभरी पूर्णिमा के रूप में भी जानी जाती है। जी दरअसल इस दिन माता शाकंभरी की जयंती मनाई जाती है। केवल यही नहीं बल्कि सहारनपुर के शिवालिक क्षेत्र में शाकम्भरी देवी का विशाल मेला लगता है। अब आज हम आपको बताने जा रहे हैं कौन हैं मां शाकंभरी।

कौन है माँ शाकंभरी- कहा जाता है देवी शाकंभरी को शाक सब्जियों और वनस्पतियों की देवी कहा गया है। जी दरअसल मां शाकंभरी माता पार्वती का ही स्वरूप हैं। जी हाँ और उनके अनेक नाम हैं, माता शाकंभरी को देवी वनशंकरी और शताक्षी भी कहा जाता है। देवी भागवत महापुराण में शाकंभरी माता को देवी दुर्गा का ही स्वरूप बताया गया है। इसमें बताया गया है कि पार्वतीजी ने शिवजी को पाने के लिए कठोर तपस्या की। उन्होंने अन्न-जल त्याग दिया था तथा जीवित रहने के लिए केवल शाक।सब्जियां ही खाईं।

इसलिए उनका नाम शाकंभरी रखा गया।एक अन्य कथा के अनुसार जब पृथ्वी पर सौ वर्षों तक वर्षा नहीं हुई, तब मनुष्यों को कष्ट उठाते देख मुनियों ने मां से प्रार्थना की। तब शाकम्भरी के रूप में माता ने अपने शरीर से उत्पन्न हुए शाकों के द्वारा ही संसार का भरण-पोषण किया था। इस तरह देवी ने सृष्टि को नष्ट होने से बचाया। इस वजह से शाकंभरी जयंति के दिन फल फूल और हरी सब्जियों को दान करने का सबसे ज्यादा महत्व है।

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