2 सालों में लोगों को विश्वास में नहीं ले सकी मोदी सरकार  : मनमोहन सिंह
2 सालों में लोगों को विश्वास में नहीं ले सकी मोदी सरकार : मनमोहन सिंह
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नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि केंद्र की सरकार में विश्वास का संकट है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 'हर भारतीय' को यह विश्वास दिलाने की जरुरत हैं कि वह लोगों के बारे में सोचते हैं. उन्होंने कहा कि 'लोग सरकार में विश्वास नहीं करते., 'जब वे (संभवत: उद्योगपति) जाते हैं और मंत्रियों से मुलाकात करते हैं तो वे अच्छी बातें करते हैं, लेकिन जब वे बाहर आते हैं तो सभी कहते हैं कि ज्यादा कुछ नहीं बदला है. 

बीफ विवाद और असहनशीलता जैसे मुद्दों पर पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि बीफ विवाद और असहनशीलता जैसे मुद्दे समस्याएं रही हैं. उन्होंने कहा, 'ये सभी समस्याएं हैं. हमारे देश में लोग प्रधानमंत्री से उम्मीद रखते हैं कि वह जनमत के प्रबंधन के मामले में नेतृत्व करें. लेकिन उन्होंने (मोदी ने) कभी नहीं बोला. चाहे बीफ का विवाद हो या मुजफ्फरगनर और अन्य जगहों पर हुई घटनाओं का मामला हो. सिंह ने कहा कि मुझे नहीं पता उनके दिमाग में क्या चल रहा है. लेकिन वह भारत के सभी लोगों के प्रधानमंत्री हैं. उन्हें हर भारतीय को यह विश्वास दिलाना चाहिए कि हमारा प्रधानमंत्री ऐसा है जो सभी के हितों की चिंता करता है.

इंटरव्यू के दौरान एक सवाल के जवाब में पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि 2008 के आर्थिक संकट के दौरान सरकार ने सभी से बात की। उन्होंने कहा, 'लेकिन आज ऐसा लगता है कि व्यापारिक समुदाय के भीतर विश्वास की कमी है. मैं नहीं समझ पा रहा कि यह क्या है... पर जब वे सिविल सेवकों से बात करते हैं, तो वे उनसे कहते हैं कि उन्हें नहीं पता कि बॉस कौन है.' 

सिंह ने कहा कि पहले केंद्र सरकार को पहले ये समझना चाहिए कि तेल से हो रहा फायदा हमेशा नहीं रहने वाला. उन्होंने आगे कहा कि 'लेकिन यह सरकार 2 साल में लोगों को अहसास नहीं दिला पाई की देश उन्नति कर रहा है.

विदेश नीति से जुड़े एक सवाल के जवाब में सिंह ने कहा कि बड़ी ताकतों के साथ रिश्तों में सुधार हुआ है, लेकिन उनकी सरकार के साथ भी ऐसा ही था. उन्होने कहा कि सरकार की विदेश नीति की असली परीक्षा पड़ोसियों से संबंधों को बेहतर बनाए रखने में होती है.

पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि पाकिस्तान को लेकर मोदी सरकार की नीति 'उतार-चढ़ाव वाली' रही है. इसमें एक कदम आगे बढ़ाया जाता है तो फिर 2 कदम पीछे भी आ जाते हैं. उन्होंने कहा मोदी सरकार प्रधानमंत्री के शपथग्रहण समारोह के लिए नवाज शरीफ को आमंत्रित करने के लिए परंपराओं से हट गई, जो एक अच्छा कदम था. लेकिन इससे जो फायदा मिलाना चाहिए था वह नहीं मिला क्योंकि मोदी सरकार ने शर्त रख दी कि पाकिस्तानी सरकार हुर्रियत से बात नहीं कर सकती और इसलिए बातचीत रद्द कर दी गई.

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