इस मंदिर में भगवान करते हैं मदिरा पान
इस मंदिर में भगवान करते हैं मदिरा पान
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आज हम आपको बता रहे है महाकाल की नगरी उज्जैन में स्थित काल भैरव मंदिर के बारे में। इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है की यहाँ पर भगवान काल भैरव साक्षात रूप में मदिरा पान करते है। जैसा की हम जानते है काल भैरव के प्रत्येक  मंदिर में भगवान भैरव को मदिरा प्रसाद के रूप में चढ़ाई जाती है। लेकिन उज्जैन स्तिथ काल भैरव मंदिर में जैसे ही शराब से भरे प्याले काल भैरव की मूर्ति के मुंह से लगाते है तो देखते ही देखते वो शराब के प्याले खाली हो जाते है।

मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर से करीब 8 कि.मी. दूर, क्षिप्रा नदी के तट पर कालभैरव मंदिर स्थित है। कालभैरव का यह मंदिर लगभग छह हजार साल पुराना माना जाता है। यह एक वाम मार्गी तांत्रिक मंदिर है। वाम मार्ग के मंदिरों में माँस, मदिरा, बलि, मुद्रा जैसे प्रसाद चढ़ाए जाते हैं। प्राचीन समय में यहाँ सिर्फ तांत्रिको को ही आने की अनुमति थी। वे ही यहाँ तांत्रिक क्रियाएँ करते थे। कालान्तर में ये मंदिर आम लोगों के लिए खोल दिया गया। कुछ सालो पहले तक यहाँ पर जानवरों की बलि भी चढ़ाई जाती थी। लेकिन अब यह प्रथा बंद कर दी गई है। 

अब भगवान भैरव को केवल मदिरा का भोग लगाया जाता है। काल भैरव को मदिरा पिलाने का सिलसिला सदियों से चला आ रहा है। यह कब, कैसे और क्यों शुरू हुआ, यह कोई नहीं जानता। मंदिर में काल भैरव की मूर्ति के सामने झूलें में बटुक भैरव की मूर्ति भी विराजमान है। बाहरी दिवरों पर अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां भी स्थापित है। सभागृह के उत्तर की ओर एक पाताल भैरव नाम की एक छोटी सी गुफा भी है।

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