मां पार्वती जी एक समय भगवान शंकरजी के साथ सत्संग कर रही थीं और उनसे यकायक पूछ बैठी के आदर्श गृहस्त कैसा होना चाहिये । और गृहस्थ व्यक्तियों का कल्याण किस प्रकार हो सकता है ?” शंकरजी ने बताया – “हे देवी ! सत्य बोलना, सभी प्राणियोंपर दया करना, मन एवं इंद्रियों पर संयम रखना तथा सामर्थ्य के अनुसार सेवा-परोपकार करना कल्याण के साधन हैं । जो व्यक्ति अपने माता-पिता एवं वयोवृद्धोंकी सेवा करता है, जो शील एवं सदाचारसे संपन्न है, जो अतिथियोंकी सेवाको सदैव तत्पर रहता है, जो क्षमाशील है और जिसने धर्मपूर्वक धन का उपार्जन किया है, ऐसे गृहस्थ पर सभी देवता, ऋषि एवं पितर प्रसन्न रहते हैं ।“
इसी के साथ भगवान शिव उन्हें अच्छे गृहस्त के लक्षण बताये - “जो दूसरों के धन का लालच नहीं रखता, जो पराई स्त्री को वासना की दृष्टि से नहीं देखता, जो अकारण झूठ नही बोलता,जो सत्यवादी है, जो नीति और मर्यादा का पालन करता है ,जो किसी की निंदा-चुगली नहीं करता और सबके प्रति मैत्री और दयाका भाव रखता है, जो सौम्य वाणी में वार्ता करता है और स्वेच्छाचार से दूर रहता है, ऐसा आदर्श गृहस्त व्यक्ति भगवत कृपा प्राप्त कर सभी सद्गुणो से पूर्ण होकर मोक्ष्य प्राप्त करता है।ऐसा व्यक्ति पूजनीय और देव तुल्य होता है |
चमत्कारी शिव मंत्र से करे सभी मनोकामना...