कब है परम एकादशी? जानिए शुभ मुहूर्त और व्रत कथा
कब है परम एकादशी? जानिए शुभ मुहूर्त और व्रत कथा
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सनातन धर्म में एकादशी का खासा महत्व है. कष्ट निवारण के लिए इस दिन को सबसे उत्तम माना जाता है. प्रत्येक माह में दो एकादशी आती है. एक कृष्णपक्ष और दूसरा शुक्ल पक्ष में. यानी वर्ष भर मे 24 एकादशी. वहीं अधिकमास की दूसरी एकादशी 12 अगस्त को है. इसे परमा एकादशी कहा जाता है. इस व्रत रखने से दुख, दरिद्रता की समाप्ति होती है. 12 अगस्त को अधिकमास की दूसरी एकादशी है. इसे परमा एकादशी बोलते हैं. प्रत्येक एकादशी का अपना महत्व है. मगर परमा एकादशी 3 वर्ष में एक बार आता है. इस दिन इसका खास महत्व है. इस दिन पूजा-पाठ के साथ ही परमा एकादशी की कथा पढ़ने या सुनने से सभी सुखों की प्राप्ति होती है। 

शुभ मुहूर्त:-
परमा एकादशी तिथि की शुरुआत 11 अगस्त दिन शुक्रवार की प्रातः 08 बजे से हो रही है और अगले दिन 12 अगस्त दिन शनिवार प्रातः 07 बजकर 46 मिनट यह तिथि रहने वाली है. उदयातिथि के मुताबिक, 12 अगस्त को एकादशी का व्रत रखा जाएगा. वहीं पूजा का शुभ मुहूर्त सूर्योदय से लेकर सुबह 07 बजकर 46 मिनट तक है.

परमा एकादशी व्रत कथा:-
पौराणिक मान्यता के मुताबिक, प्राचीन काल में सुमेधा नामक एक ब्राह्मण रहता था। उसकी पत्नी का नाम पवित्रा था। वह परम सती और साध्वी थी। पति-पत्नी दोनों निर्धनता में जीवन निर्वाह करते हुए भी परम धार्मिक थे और हमेशा अतिथि सेवा में तत्पर रहते थे। एक दिन गरीबी से परेशान होकर ब्राह्मण ने परदेश जाने का विचार किया, लेकिन उसकी पत्नी ने कहा- ‘’स्वामी धन और संतान पूर्वजन्म के दान से ही प्राप्त होते हैं, अत: आप इसके लिए चिंता ना करें।’’ फिर कुछ दिन बाद महर्षि कौडिन्य उनके घर आए। ब्राह्मण दंपति ने श्रद्धा भाव से उनकी सेवा की। महर्षि ने उनकी दशा देखकर उन्हें परमा एकादशी का व्रत करने को कहा। उन्होंने कहा- ‘’दरिद्रता को दूर करने का सुगम उपाय यही है कि, तुम दोनों मिलकर अधिक मास में कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत तथा रात्रि जागरण करो। इस एकादशी के व्रत से यक्षराज कुबेर धनाधीश बना है, हरिशचंद्र राजा हुआ है।’’ ऐसा कहकर महर्षि चले गए और सुमेधा ने पत्नी सहित व्रत किया। इसके बाद प्रात: काल एक राजकुमार घोड़े पर चढ़कर आया और उसने सुमेधा को सर्व साधन, संपन्न, सर्व सुख समृद्ध कर एक अच्छा घर रहने को दिया। इसके बाद उनके समस्त दुख दर्द दूर हो गए। इसलिए परमा एकादशी का व्रत करने से जीवन की तमाम परेशानियां दूर हो जाती हैं और सुख समृद्धि की प्राप्ति होती हैI

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