कब और कैसे हुई थी बौद्ध धर्म की स्थापना
कब और कैसे हुई थी बौद्ध धर्म की स्थापना
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बौद्ध धर्म विश्व के एक प्रमुख धर्म है जो गौतम बुद्ध के उपदेशों पर आधारित है। यह धर्म भारतीय महाद्वीप से प्रारंभिक रूप में फैला और फिर समय के साथ विभिन्न भूमियों पर विकसित हुआ। इस धर्म की मुख्य शाखाओं में थेरवाद, महायान और वज्रयान शामिल हैं।

थेरवाद: थेरवाद बौद्ध धर्म की एक प्रमुख शाखा है जो प्राचीन भारतीय धर्मशास्त्रों और संस्कृति के आधार पर विकसित हुई। यह धर्म ज्ञान की प्राथमिकता पर ध्यान केंद्रित करता है और उद्धार के लिए मोक्ष को प्राप्त करने की सिद्धि को महत्व देता है। थेरवाद में ध्यान और मेधावी जीवन का महत्वपूर्ण स्थान है।

महायान: महायान बौद्ध धर्म की एक और प्रमुख शाखा है जो भारतीय महाद्वीप से उत्पन्न हुई और बाद में विभिन्न भूमियों में विकसित हुई। महायान धर्म नये संस्कृतिक और धार्मिक विचारों के साथ महान कार्यों के लिए भी महत्वपूर्ण है। यह धर्म बोधिसत्व की महत्वाकांक्षा के साथ संबंधित है और सभी जीवों के उद्धार के लिए प्रेरित करता है।

वज्रयान: वज्रयान बौद्ध धर्म की तीसरी मुख्य शाखा है जो प्राथमिकता देवताओं, बोधिसत्वों, और गुरु-छेला सम्बन्धों पर रखती है। यह धर्म तंत्र-मंत्र, मंत्र-जाप, और तांत्रिक क्रियाओं के माध्यम से ज्ञान और मोक्ष के पथ को प्रशस्त करता है। वज्रयान धर्म में भूतल के अतीत, भविष्य, और वर्तमान की जीवनी और बोधिसत्वों की महत्वपूर्णता पर विशेष ध्यान दिया जाता है।

निष्कर्ष: थेरवाद, महायान और वज्रयान बौद्ध धर्म की मुख्य शाखाएं हैं जो विभिन्न तत्त्वों, संस्कृतियों, और अभिप्रेतानों पर आधारित हैं। ये शाखाएं बौद्ध धर्म के अद्वितीय पहलुओं को प्रकट करती हैं और मानवता को मार्गदर्शन करती हैं।

बौद्ध धर्म की स्थापना गौतम बुद्ध (सिद्धार्थ गौतम) द्वारा की गई थी। यह धर्म स्थापित हुई भारतीय महाद्वीप में लगभग 2,500 वर्ष पहले। बौद्ध धर्म की स्थापना में गौतम बुद्ध के जीवन, उपदेश, और संघ की भूमिका महत्वपूर्ण थी।

गौतम बुद्ध ने जन्म से पहले आध्यात्मिक खोज की और अन्ततः अविद्या, दुख, और मोह के मूल कारणों को समझने की प्राप्ति की। विचारों की तरंग में, उन्होंने अपने अनुभवों को दुनियावी माया के प्रतिरूप के रूप में समझा।

गौतम बुद्ध ने महाभोजन और व्यापारिक जीवन को छोड़कर एक संन्यासी के रूप में नवजीवन शुरू किया। वे उपवास, ध्यान, और मेधावी जीवन की प्रथा को अपनाए और चार आश्रमों के लिए अनुयायी संघ स्थापित की।

गौतम बुद्ध ने अपने उपदेशों के माध्यम से ब्राह्मणवाद के प्रतिष्ठान को छोड़ दिया और साधारण जनता के लिए धर्म को सरल और सुलभ बनाने की बात कही। उन्होंने आत्मनिरीक्षण, सहानुभूति, और अशान्ति से छुटकारा प्राप्त करने की बात बताई।

गौतम बुद्ध के उपदेशों की प्रभावशाली प्रचार के कारण, उनके अनुयायी संघ द्वारा बौद्ध धर्म अपनाया गया। यह धर्म भारतीय महाद्वीप से बाहर फैला और विभिन्न भूमियों में विकसित हुआ।

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